नई दिल्ली: लंबे समय से लद्दाख पर चीन और भारत की सेना के टकराव के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है. दोनों ही देशों की सेनाओं के पीछे हटने की खबर के साथ ही इस तनातनी के कुछ कम होने के आसार नजर आए हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गालवान क्षेत्र में गतिरोध की जगह से दोनों सेनाओं की तरफ से थोड़ी वापसी हुई हो. इस विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल-स्तरीय वार्ता होने वाली है, जिसका बड़ा फोकस पैंगोंग त्सो हो सकता है. गालवान में चीनी सेना 2 किमी पीछे चली गई है और भारतीय सैनिक 1 किमी पीछे हट गए हैं.
यह है विवाद
सूत्रों ने कहा कि बड़ी तादाद में चीनी सैनिक पैंगोंग त्सो (झील) के पास तैनात की गई थी, जिसके बाद भारत ने भी सेना बढ़ा दी है. यहां पर झील को 8 फिंगर के आधार पर बांआ गया है, जिसमें परंपरागत रूप से 1 से 4 तक का भारत का नियंत्रित रहा है और 5 से 8 तक चीन का है. हालांकि, भारत पूरे 8 फिंगर पर अपना दावा किया है और फिंगर 4 के पास एक भारतीय पोस्ट भी है.
फिंगर 4 और 8 के बीच का क्षेत्र विवाद का विषय रहा है और अक्सर यहां पर दोनों देशों की सेनाओं में गश्त के दौरान टकराव होता है. 5 मई की शुरुआती हिंसा के बाद 18 मई को यहां एक और झड़प हुई थी, जब दोनों पक्षों के सैनिक घायल हो गए थे. चीन के पास फिंगर 4 तक एक सड़क है, जबकि भारतीय सैनिकों को कुछ सौ मीटर चलना पड़ता है.
सूत्रों ने कहा कि स्थिति पिछले साल सितंबर में ज्यादा खराब हो गई थी, जब भारतीय सैनिकों ने फिंगर 4 पर चीनियों द्वारा नाकाबंदी के लिए जाने के लिए एक वैकल्पिक ट्रैक बनाया था ताकि भारतीय गश्ती दल को आगे बढ़ने के लिए रोका जा सके. इस साल दोनों सेनाओं के बीच तब गतिरोध पैदा हो गया था, जब चीनी सैनिकों ने वैकल्पिक मार्ग का उपयोग करते हुए फिंगर 4 से आने वाले भारतीय सैनिकों पर आपत्ति जताई थी.