तेलंगाना: कोरोना वायरस महामारी के बीच तेलंगाना में TIMS की व्यवस्था पर विवाद हो गया है. राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने TIMS को इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल से एक्सीलेंस बताया था, जिसके बाद अप्रैल में तेलंगाना इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (TIMS) को कोरोना मरीजों के लिए समर्पित किया गया. लेकिन दो महीने बाद भी वहां इलाज शुरू नहीं हो सका है. इस पर विपक्षी कांग्रेस ने सरकार की आलोचना की है.
तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और लोकसभा सांसद रेवांथ रेड्डी ने रविवार को TIMS का दौरा किया. रेड्डी ने कहा कि 1500 बेड वाले इस अस्पताल में उन्हें व्यवस्था के नाम पर ‘चार सुरक्षा गार्ड और एक कुत्ता’ दिखाई दिया है.
बता दें कि देश में वायरस महामारी फैलने के बाद जब 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया तो उसी दौरान तेलंगाना सरकार ने टिम्स के इस्तेमाल का फैसला किया था. लेकिन, यहां कोरोना का कोई भी मरीज नहीं लाया गया है. इसके अलावा न ही विदेश से लौटने वालों के लिए इसका क्वारनटीन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया गया है.
ये हाल तब है कि जबकि कोरोना वायरस मरीजों का दबाव गांधी अस्पताल पर बढ़ रहा है. गांधी अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग भी कर चुके हैं. अब कांग्रेस भी यह मुद्दा उठा रही है, जिससे राज्य में सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है.
बीजेपी भी टीआरएस सरकार के खिलाफ मोर्चो खोले हुए है. बीजेपी सरकार पर महामारी से सही ढंग से न निपटने की आरोप लगा रही है, साथ ही व्यवस्था का सही उपयोन न किए जाने की भी बात कही गई है.
इस बीच मुख्यमंत्री केसीआर ने कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर रविवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की. बैठक में प्राइवेट अस्पताल और लैब को भी कोरोना टेस्ट की अनुमति देने का फैसला किया गया. इसके अलावा सरकार ने कहा है कि 30 विधानसभा क्षेत्रों में अगले 7-10 दिन के अंदर 50 हजार कोरोना टेस्ट कराए जाएंगे.
बता दें कि इन विधानसभा क्षेत्रों में करीब 2 करोड़ की आबादी है. ऐसे में पचास हजार टेस्ट को नाकाफी बताया जा रहा है. बीजेपी ने मांग की है कि कंटेनमेंट जोन में डोर-टू डोर सर्वे किया जाए और रेड जोन में सभी लोगों की टेस्टिंग की जाए.