रवि सिंह ब्यूरो चीफ
गुरुद्वारा प्रबंध समिति ने बृजेश राम त्रिपाठी को किया सम्मानित
गोरखपुर:- गुरुकृपा संस्थान एवं अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में “सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊ,तबै गुरु गोविंद सिंह नाम कहाऊँ” का उदघोष करने वाले सिक्खों के 10वें व अंतिम गुरु गुरु गोविंद सिंह की 355वीं जयंती हर्षोल्लास पूर्वक प्रकाश उत्सव के रूप में गोलघर स्थित शास्त्री चौक पर पुष्पांजलि द्वारा मनाई गयी. 22 दिसम्बर 1666 को हिंदी तिथिनुसार पौष महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि में बिहार प्रदेश के पटना साहिब में जन्मे गुरु गोविंद सिंह कवि, भक्त और आध्यात्मिक गुरु थे उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए संस्था के अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता बृजेश राम त्रिपाठी ने कहा कि खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह ने क शब्द के पांच महत्व खालसा के लिए समझाया और कहा केश, कंघा, कड़ा, किरपान, कच्चेरा. श्रीराम जन्मभूमि पर हुए 78 लड़ाईयों में एक बहुत बड़ी लड़ाई गुरु गोविंद सिंह ने लड़ा था. खालसा पंथ की स्थापना सनातन धर्म व हिंदू समाज की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह ने किया था और दुनिया के सर्वकालिक संग्राम के इतिहास में इतना बड़ा त्यागी, बलिदानी, वीर और साहसी योद्धा इतिहास के पन्नों में नहीं दिखता जितना बड़ा नाम गुरु गोविंद सिंह का आता है उन्होंने अपनी तीन तीन पीढ़ी गुरु एवं पिता तेगबहादुर, 4 बेटों जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फ़तेह सिंह और अजित सिंह और पत्नी सहित देश धर्म समाज की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. उन्होंने सन्यासियों तक को योद्धा बना कर वीर बंदा बैरागी जैसे लोगों को खड़ा किया गुरुद्वारा प्रबंध समिति जटाशंकर के अध्यक्ष
जसपाल सिंह ने गुरुकृपा संस्थान एवं अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा संगठन के
कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को गुरु गोबिन्द सिंह के 355वीं जयंती पर नमन कार्यक्रम के आयोजन पर बधाई देते हुए कार्यक्रम संयोजक बृजेश राम त्रिपाठी को अंगवस्त्र, सिरोहा तथा गुरु गोविंद सिंह का चित्र भेंट देकर सम्मानित किया
उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के सदस्य जगनैंन सिंह नीटू ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह समतामूलक समाज के प्रणेता थे उनके द्वारा पंच प्यारे की संज्ञा जातिवाद पर कड़ा प्रहार था और जनवाद का प्रतीक. अपना शीश देने के लिए तैयार हुए पांचों व्यक्ति समाज के सभी वर्ग खत्री , जाट, धोबी, नाई और कुम्हार जाति से थे जगनैंन सिंह नीटू ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह महाराज सर्वशदानी थे उनका योगदान, त्याग और बहादुरी पूरे विश्वभर में कोई भी भूला नहीं सकता है. वे हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन त्याग और बलिदान का प्रतीक था और दूसरों की सेवा के लिए समर्पित था. उनका मानना था कि समाज में शांति बहाल करना और आपसी भाईचारे की बेहद जरूरत है
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सरदार रघुवीर सिंह, प्रेमनाथ सिंह, गगन सहगल मुकेश गुप्ता अभिषेक सिंह बिट्टू, रमन सिंह, आशीष राज पांडेय, शिव कुमार मल्ल, मनीष प्रताप सिंह, विश्वजीत यादव, अनुभव पांडेय सहित अनेक लोग उपस्थित.