मंगलवार रात को इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने वाला है। सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा जिसे अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा। यह रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर चार बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसा 149 साल बाद होने जा रहा है जब गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा। यह रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लेगी। इस चंद्रग्रहण को लेकर अन्य खास बातें… इस साल का पहला चंद्रग्रहण 20 और 21 जनवरी की दरम्यानी रात को लगा था। यह पूर्ण चंद्रग्रहण था जिसे वैज्ञानिकों ने सुपर ब्लड वुल्फ मून नाम दिया था। इसे यह नाम इसलिए दिया गया था क्योंकि ऐसे चंद्रग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह लाल नजर आता है। वुल्फ मून का नाम नेटिव अमेरिकी जनजातियों ने रखा, क्योंकि सर्दियों के दौरान खाना ढूंढ़ते भेड़िए चिल्लाते हैं। यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया था। लेकिन, अमेरिका, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, नार्वे, स्वीडन, पुर्तगाल, फ्रांस और स्पेन में लोग इस अद्भुत नजारे के साक्षी बने थे। इस बार नंबर भारत का है जहां लोगों को सुपर ब्लड वुल्फ मून जैसा ही नजारा दिखाई देगा।
सुपर ब्लड वुल्फ मून के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के करीब आ जाता है जिससे इसका आकार बाकी दिनों की तुलना में बड़ा दिखाई देता है। चंद्रमा का आकार बड़ा होने और रंग लाल होने के कारण ही इसे सुपर ब्लड मून नाम दिया गया है। चूंकि इस बार का चंद्रग्रहण आंशिक है, इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे हाफ ब्लड थंडर मून इक्लिप्स नाम दिया गया है। खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह नजारा बेहद शानदार होगा, बशर्ते मौसम साफ हो। यह चंद्रग्रहण भारत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, एशिया और यूरोप के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा।
खगोल विज्ञान के मुताबिक, जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य जब एक सीध में होते हैं तब ग्रहण पड़ता है। यदि चंद्रग्रहण की बात करें तो जब सूर्य और चंद्रमा के बीच धरती आ जाती है तो उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यही स्थिति चंद्रग्रहण कहलाती है। खगोल विज्ञानियों के अनुसार, कल रात लगने वाला ग्रहण इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष के मुताबिक, इस ग्रहण के प्रभाव से प्राकृतिक आपदाओं के कारण व्यापक क्षति की आशंका है। पिछली बार 12 जुलाई, 1870 को गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ पड़े थे। हिंदू पंचांग की मानें तो इस ग्रहण को खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है।
इस साल के अंत में 26 दिसंबर को तीसरा सूर्य ग्रहण पड़ेगा। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 06 जनवरी को जबकि दूसरा 02 जुलाई को लगा था। इस साल का 21 जनवरी को लगा था। साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण जबकि दूसरा पांच जून को लगेगा। अगले साल का तीसरा चंद्रग्रहण 05 जुलाई को जबकि चौथा 30 नवंबर को लगेगा। अगले साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को जबकि दूसरा 14 दिसंबर को लगेगा। अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को दिखेगा, जबकि इससे पहले 27 जुलाई 2018 को पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखा था।