रांची: एक फिल्म आई थी ‘बेवफा सनम’. इसका गाना ‘अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का’ लोगों की जुबान पर खूब चढ़ा था. उस वक्त प्राय: हर जगह यह गीत सुनने को मिलता था. एक बार फिर से यह गीत सुनने को मिल रहा है. भाजपा की नई कमेटी की घोषणा होने के बाद कई लोगों के दिलो-दिमाग में यह गाना बज रहा है.
अब वापसी में भी दिक्कत
सुखदेव भगत और मनोज यादव की कांग्रेस में वापसी में भी दिक्कत है. डॉ रामेश्वर उरांव और सुखदेव भगत के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता जग जाहिर है.
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता सुखदेव की वापसी पर बैन लगाने की बात भी कह चुके हैं. ऐसे में वे चाहकर भी वहां लौट नहीं सकते हैं. मनोज के लौटने पर उनकी फजीहत संभव है. वे यहां की तरह वहां भी दरकिनार किये जा सकते हैं.
आका ही हो गये साइडलाइन
चुनाव से पहले इन्हें भाजपा में लाने वाले इनके आका ही साइडलाइन कर दिये गये हैं. एड़ी चोटी एक कर देने के बाद भी उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं मिला. पार्टी में भी पहले की तरह उन्हें तवज्जो नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में इन दोनों को अब पार्टी में अच्छी जगह मिलने पर संशय है.
पार्टी में शामिल हुए पांच विधायक
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस, झामुमो सहित पांच विधायक भाजपा में शामिल हुए थे. इसमें कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं लोहरदगा से तत्कालीन विधायक सुखदेव भगत, बरही से तत्कालीन कांग्रेस विधायक मनोज यादव, झारखंड मुक्ति मोर्चा के बहरागोड़ा से तत्कालीन विधायक कुणाल सारंगी, मांडू से झामुमो विधायक तत्कालीन जयप्रकाश भाई पटेल एवं राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा नौजवान युवा मोर्चा के अध्यक्ष भानु प्रताप शाही शामिल थे.
दो सीट बचाने में कामयाब
विधानसभा चुनाव में सभी को टिकट मिला था, हालांकि उसमें से महज दो सीट बचाने में कामयाब हुए. मांडू से जयप्रकाश भाई पटेल और भवनाथपुर से भानु प्रताप शाही जीतने में कामयाब हो गये. टिकट मिलने में सबसे अधिक ड्रामा सुखदेव भगत को लेकर हुआ था. काफी जद्दोजहद के बाद उन्हेंट टिकट मिला था.
हारे तीन, किनारे हुए दो
पूर्व पार्टी से बगावत कर आने वाले विधायकों में तीन ने अपनी सीट गंवाई. हालांकि इसमें दो पूरी तरह किनारे कर दिये गये. कुणाल षाड़ंगी को प्रदेश कमेटी में जगह मिल गई.
उन्हें प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेवारी दी गई है. मनोज यादव और सुखदेव भगत को कुछ भी हासिल नहीं हो पाया. उन्हें पूरी तरह किनारे कर दिया गया है.