नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने दिल्ली हिंसा पर संसद में बहस की मांग की है. सोमवार दोपहर मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि 1984 के भीषण सिख दंगे की तरह ही अभी हाल में दिल्ली के हुए दंगों ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. ऐसे में बेहतर होता कि आज से शुरू हुए संसद के सत्र में केंद्र सरकार सारे काम स्थगित करके इस मामले पर खुली बहस कराकर जनता के सवालों का जवाब देती. ऐसा नहीं करना दुखद है.
दिल्ली में हाल में हुई हिंसा में 47 लोगों की जान गई है. वहीं 250 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. सोमवार से शुरू हुए बजट सत्र के दूसरा चरण में विपक्ष ने दिल्ली हिंसा का मुद्दा उठाया है, विपक्ष मामले पर चर्चा चाहता है. दिल्ली हिंसा को लेकर संसद के दोनों सदन में विपक्ष ने गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है. विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने भी प्रदर्शन किया. अब मायावती ने भी ट्वीट कर बहस की मांग की है.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर दिल्ली हिंसा की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की थी. मायावती ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में भी दिल्ली हिंसा को 1984 के सिखों के खिलाफ हुए दंगों जैसा कहा है.
मायावती ने कहा कि दिल्ली में हुई हिंसा ने दुनिया भर में देश का गलत चेहरा पेश किया है. इसमें खासतौर से केंद्र सरकार की विशेष जिम्मेदारी बनती है. भाजपा और इसकी सरकार अपने कानूनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में काफी हद तक विफल रही है.
उससे पहले 26 फरवरी को मायावती ने अपने ट्वीट में कहा था, ‘दिल्ली के कुछ क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों की हिंसा, उपद्रव व आगजनी की घटनाओं में भारी जान-माल की क्षति अति-दुःखद व अति-निन्दनीय. केन्द्र व दिल्ली सरकार इसे पूरी गंभीरता से लेकर इसकी उच्च स्तरीय जांच कराए व सभी लापरवाही व दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, यह बीएसपी की मांग है.’