रांची: मधुरता, कुछ लोगों के लिए इस शब्द का कोई अर्थ नहीं. नदी की कल-कल बहती धारा हो या पंछियों की चहचहाहट, इनके लिए मायने नहीं रखते. क्योंकि वे सुन ही नहीं पाते. लेकिन कुछ लोगो के लिए सिर्फ कोलाहल ही उनके जीवन का अंश बन जाता है क्योंकि वह ऊंचा सुनते हैं. श्रवण यंत्र सबके लिए लाभकारी नहीं होता न ही सबकी पहुंच श्रवण यंत्र तक होती है अतः उनमें से अनेक धीरे-धीरे समाज से कटने लगते हैं. अनेक लोग तो समावेश के तमाम प्रयासों के बावजूद एकाकी जीवन जीने को बाध्य हो जाते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के 2018 के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 6.3% लोग विशेष श्रवण दोष से ग्रसित हैं. 60 साल के उम्र के बाद लगभग 7.6% लोग श्रवण दोष का शिकार हो जाते हैं जबकि 2% बच्चे श्रवण दोष से ग्रसित होते हैं.
श्रवण दोष के कारण:
कान के भीतरी हिस्से में क्षति होना, अधिक उम्र में या शोर के संपर्क में आने की वजह से मस्तिष्क को ध्वनि संकेत भेजने वाले अंग तंत्रिका कोशिकाओं में क्षति हो जाती है. इन तंत्रिका कोशिकाओं में क्षति होने से संकेत सही तरह से मस्तिष्क तक पहुंच नहीं पाते हैं. ऐसे में पीछे की आवाजों को समझ पाने में मुश्किल होती है.
- कान में संक्रमण, असामान्य रूप से हड्डी का बढ़ना या ट्यूमर होना, कान के बाहरी और मध्य भाग में इस तरह की समस्या होने से श्रवण दोष हो सकता है.
- कान के पर्दे में छेद होना – तेज शोर, अचानक कान पर दबाव, किसी चीज का कान में जाने और संक्रमण के कारण कान के पर्दे में छेद हो सकता है.
- उम्र का बढ़ना, अत्यधिक शोरगुल वाले माहौल, आनुवंशिक दोष.
- व्यावसायिक शोर, मनोरंजक शोर, विस्फोटक शोर आदि भी श्रवण दोष के प्रमुख कारण हैं.
श्रवण दोष से बचाव
- काम की जगह पर अपने कानों को सुरक्षित रखें.
- कानों को बाहरी आवाज से बचाने के लिए आप इयरमफ फोम, प्लास्टिक और रबड़ से बने इयरप्लग का प्रयोग कर सकते हैं
- सुनने की क्षमता की जांच
- यदि आप ज्यादा तेज आवाज या शोर वाले माहौल में काम करते हैं, तो आपको नियमित रूप से सुनने की क्षमता की जांच सी ग्रुप 4 शीघ्र उपचार
जोखिम भरे मनोरंजन से दूरी बनाएं
मनोरंजन के कुछ तरीके कानों के लिए जोखिम भरे होते हैं, जैसे- लंबे समय तक तेज संगीत सुनना या ऐसे वाले माहौल में रहना.
इस स्थिति में आपको कानों में आवाज कम करने वाले उपकरण का प्रयोग करना चाहिये.