पटना: लोक पर्व छठ के बहाने बिहार राज्य में बीजेपी ने कुछ हफ़्ते पहले दशहरा के वक़्त राजनीतिक तनाव को कम करने की कोशिश की है. नीतीश मंत्रिमंडल में सभी मंत्री ख़ासकर उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी और मंत्री नंद किशोर यादव मुस्तैद दिखे. इसलिए मुख्यमंत्री के साथ घाट निरीक्षण हो या छठ के दिन अर्घ्य के दौरान उन्होंने यह जताया की हम साथ साथ है .
हालांकि बिहार में बीजेपी नेताओं की मानें तो केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद जो अब पटना साहिब से सांसद भी हैं और खरना से एक दिन पहले घाटों का अकेले निरीक्षण भी किया था. उन्होंने छठ के शाम घूमने के लिए एक जहाज़ भी मंगाया था. लेकिन सुशील मोदी और नंद किशोर यादव जैसे नेताओं ने उन्हें इससे परहेज़ करने की सलाह देते हुए प्रस्ताव दिया कि वो भी मुख्यमंत्री और राज्यपाल के साथ आएं.
सुशील मोदी और नंद किशोर यादव को इस बात का डर था कि रविशंकर अगर जाते तो फिर बीजेपी विधायकों को भी उनके साथ जाना पड़ता. हालांकि जहाज़ पर शनिवार शाम सभी नेता जब घूम रहे थे. इस बार घाटों पर प्रबंधन को देखते हुए घाटों से ‘नीतीश कुमार ज़िंदाबाद’ के नारे भी सुनाए दिए.
गौरतलब है कि दशहरा के दौरान पटना के गांधी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाग लेने पहुंचे तब बीजेपी के मंत्री हों या राज्यपाल या विधायक किसी को वहां न देखकर उनको काफ़ी हैरानी हुई थी. उन्होंने आयोजकों से इस संबंध में पूछा तो उन्हें बताया गया कि सबने सहमति देकर अंतिम समय में कोई न कोई बहाना कर इस कार्यक्रम से किनारा कर लिया था, जिसके बाद गठबंधन के भविष्य को लेकर काफ़ी सवाल खड़े हुए थे.
बाद में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी अटकलों पर यह कहकर विराम लगाया कि अगले साल बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेगी.