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284 करोड़ की केंद्रीय सहायता के साथ 5000 करोड़ का डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फण्ड भी है उपलब्ध
रांची: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और प्रदेश के एक मंत्री द्वारा केंद्र सरकार पर असहयोग के आरोप पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हेमंत सरकार अपनी विफलता एवं नाकामी को छिपाने के लिये ऐसी बयानबाजी कर रही है.
केंद्र सरकार बिना भेदभाव के झारखंड को सहायता उपलब्ध करा रही है, परंतु राज्य की प्रशानिक व्यवस्था पूरी तरह विफल है और इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण राज्य सरकार की नीति और नियत में अंतर होना.
गठबंधन के घटक दलों में श्रेय लेने की होड़ मची है. मंत्रियों के निर्णय राज्य हित में नहीं बल्कि क्षेत्र, समुदाय विशेष के आधार पर हो रहे है. पूरा प्रशासनिक तंत्र अनैतिक दबाव में कठपुतली बना हुआ है.
प्रकाश ने कहा कि मुख्यमंत्री सहित प्रशासन एक मुहल्ले तक सिमट गया है. प्रकाश ने मुख्यमंत्री से प्रश्न करते हुए पूछा कि क्या रांची, बोकारो कोरोना हॉटस्पॉट केंद्र सरकार के कारण बना? क्या लॉकडाउन उल्लंघन पर कार्रवाई में भेदभाव केंद्र सरकार कर रही है? केंद्र सरकार द्वारा तीन माह का अतिरिक्त राशन उपलब्ध कराने के बाद भी गरीबों के बीच वितरण नहीं हो रहा, क्या इसके लिये केंद्र सरकार दोषी है?
लॉकडाउन में सिसई में आदिवासी समुदाय पर हमला करके हत्या की जाती है, क्या इसके लिये विधि व्यवस्था केंद्र सरकार के जिम्मे है? क्या बैंकों से पैसे निकाल रहे लोगों की लंबी लाइनों में सोशल डिस्टेंसिंग लागू कराना केंद्र सरकार के जिम्मे है? बोकारो के अस्पताल में कोरोना मरीज के कारण संक्रमण में वृद्धि के लिये क्या केंद्र सरकार दोषी है, पड़ोसी राज्य बिहार ने लाखों मजदूरों के खातों में पैसे पहुंचा दिये झारखंड अबतक योजना भी नहीं बना पाया, क्या इसके लिये केंद्र सरकार दोषी है?
पश्चिम बंगाल के बॉर्डर से लोगों का झारखंड में आनाजाना जारी है, क्या इसे नियंत्रित करने की जिम्मेवारी केंद्र सरकार का है, मजदूरों को बस से गोड्डा, साहेबगंज भेजते समय पूरे राज्य की कोई चिंता नहीं की गई, इसके लिये केंद्र दोषी है?
प्रवासी मजदूरों के आंकड़े तक तैयार नहीं ,इसके लिये केंद्र दोषी है? राज्य से बाहर फंसे विद्यार्थियों को लाने की कोई योजना नहीं, क्या केंद्र दोषी है?
प्रकाश ने कहा कि दरअसल यह सरकार निकम्मी सरकार है. जिसने आम जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के प्रारंभ में ही कोरोना संकट से निपटने के लिये 284 करोड़ की सहायता राशि दी.
इसके अतिरिक्त राज्य के पास केंद्र से प्राप्त 5000 करोड़ का डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फण्ड भी है. जिसे कोरोना के निदान के लिये खर्च की अनुमति दे दी गई है. पैसे का कोई अभाव नहीं है, फिर भी यह सरकार केंद्र पर आरोप लगाकर अपनी विफलता छिपाना चाहती है.