रांची: वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने सोमवार को विधानसभा में श्वे्त पत्र जारी किया. इसमें खजाने का हाल बताया गया. इसमें साफ किया गया है कि रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान खजाने का हाल बेहाल हो गया. इसकी स्थिति बद से बदतर होती गई. राजस्व संग्रह के उपायों पर कोई ठोस पहल नहीं की गई. सरकार लगातार कर्ज लेती रही. इसके कारण राज्य की वित्तीय स्थित खस्ता हो गई.
श्वेत पत्र में बताया गया है कि वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक केंद्र से राज्य को पर्याप्त पैसा मिला. हालांकि राज्य सरकार आंतरिक स्रोतों से क्षमता से कम राजस्व संग्रह कर सकी. इससे राज्य का वित्तींय संतुलन डगमगाता रहा. श्वेता पत्र में बताया गया है कि वर्ष 2015 से 2019 तक राज्य की औसत वार्षिक वृद्धि दर 5.7 फीसदी रही. पांच साल में राज्य के कर संग्रहण में 10 फीसदी से कम की वृद्धि दर्ज की गई.
सरकार के शराब खुद बेचने के निर्णय से करीब 1000 करोड़ रुपये की क्षति हुई. यही कारण है कि बाद में इस निर्णय को वापस लिया गया. लगातार बजट में खर्च को बढ़ाकर दिखाने के कारण योजना के वास्तविक खर्च और आंकलित खर्च के बीच का अंतर बढ़ता गया. वर्ष 2018-19 में यह अंतर 10,437.47 करोड़ रुपये हो गया.
पिछले पांच सालों राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से काफी लोन लिया. इसके कारण कर्ज का बोझ बढ़ता गया. इस कर्ज पर हर साल 18 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज सरकार चुका रही है. इसके कारण कर्ज वर्ष 2014-15 में राज्य के जीडीपी के 20 फीसदी से बढ़कर 2018-19 में 27.2 प्रतिशत हो गया. इतना ही नहीं, इस कदम के कारण वर्ष 2014-15 में राज्य के हर व्यक्ति पर 12,000 कर्ज था. यह वर्ष 2018-19 में 22,000 रुपये हो गया और वर्ष 2019-20 में बढ़कर 24,000 होने की संभावना है.
श्वेत पत्र में यह बात भी उभरकर सामने आई कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्य के राजस्व में कमी आई. केंद्र सरकार से भी इसकी भरपाई के लिए अपेक्षित मदद नहीं मिल पाई. राज्य को दिए जाने वाले अनुदानों केंद्र ने कमी कर दी. रेलवे के प्रोजेक्ट्स के लिए लागत का दो तिहाई भाग और बाद में आधा भाग राज्य सरकार से लिया गया.
बीते पांच सालों में बिजली की उत्पादन क्षमता में कमी आई. बिना टेंडर के पतरातू थर्मल पावर को ज्वाइंट वेंचर में एनटीपीसी को दे दिया गया. टीवीएनएल को मिले कोल ब्लॉक को शुरू कराने की कोशिश नहीं हुई. इसके कारण केंद्र ने राज्य के करोड़ों रुपये जब्त कर लिए. राज्य सरकार ने कोल कंपनियों और सेल से बकाया लीज रेंट नहीं वसूला. इसका असर भी खजाने पर पड़ा. वर्तमान में कोल कंपनी का लीज 65,000 करोड़ रुपये हो गया है. बिजली कंपनियों की कार्यशैली से भी राज्य को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा.
श्वेत पत्र में रघुवर सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना को बोझ बताया गया है. सरकार का कहना है कि किसानों के लिए पहले से ही राज्य में कई योजनाएं चल रही है. इस योजना के शुरू करने से कृषि उत्पादकता में कोई बढ़ोत्तरी नहीं दिख रही है.
सरकार ने श्वेत पत्र में राज्य में स्थित विभिन्न सरकारी उपक्रमों का भी जिक्र किया है। इसमें बताया गया है कि सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल, सेल सहित अन्य कंपनियों पर करोड़ों रुपये बकाया है. कोल बियरिंग एरिया एक्ट के तहत विभिन्न कोयला कंपनियों पर 33 हजार करोड़ बकाया है. माइनिंग से राज्य को सालाना 6 हजार करोड़ वार्षिक राजस्व मिलता है. सेल के पास खनन पट्टा रिन्यूअल का 3 हजार करोड़ बकाया है.