रांची: झारखंड उच्च न्यायालय में डॉक्टर भीम प्रभाकर के द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में मुख्य सचिव, प्रधान सचिव श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग झारखंड सरकार व निदेशक श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग झारखंड सरकार को प्रतिवादी बनाते हुए याचिकाकर्ता ने झारखंड राज्य में अनुदेशकों की नियुक्ति किए बिना एवं मात्र चार प्राचार्य के भरोसे कुल 116 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को छोड़ देना, खिड़कियां एवं दरवाजे बर्बाद हो रहे हैं एवं वहां पर असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है.
उक्त मामले में झारखंड उच्च न्यायालय ने 29 मई 2020 को संज्ञान में लेते हुए झारखंड सरकार के उच्च पदस्थ पदाधिकारियों को प्रति शपथ पत्र 4 सप्ताह में दाखिल करने का आदेश पारित किया गया था.
आज सुनवाई के दरमियान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विनोद सिंघ के द्वारा यह विरोध दर्ज कराया गया कि याचिका में बनाए गए प्रतिभागियों में से किसी ने भी प्रति शपथ पत्र दायर नहीं किया.
उनके जगह पर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान हेहल रांची के प्राचार्य जियाउर रशिद के द्वारा प्रति शपथ पत्र दायर किया गया है. जो कि सक्षम पदाधिकारी नहीं है एवं याचिका में उठाये गए मुद्दों को जवाब देने में समर्थ नहीं है.
इस बात पर न्यायालय के खंडपीठ के द्वारा संज्ञान लेते हुए, कड़ी टिप्पणी करते हुए, सरकार को फटकार लगाई एवं टिप्पणी की… कि हाईकोर्ट के आदेश को मजाक नहीं बनाया जाए. क्या किसी चपरासी को भी अधिकृत कर प्रतिस्थापित प्रति शपथ पत्र दायर कराई जा सकती हैं.
मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन एवं न्यायधीश सुजीत नारायण प्रसाद के द्वारा याचिकाकर्ता में से किसी एक के द्वारा ही प्रति शपथ पत्र दायर करने को कहा गया है.