रांची : डॉक्टर भीम प्रभाकर की ओर से द्वारा दायर जनहित याचिका जो औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से संबंधित है, में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश को मजाक नहीं बनाया जाए. दरअसल याचिकाकर्ता ने मुख्य सचिव श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग झारखंड सरकार, प्रधान सचिव श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग झारखंड सरकार व निदेशक श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग झारखंड सरकार को प्रतिवादी बनाया था. याचिका में कहा गया था कि झारखंड राज्य में अनुदेशकों की नियुक्ति किए बिना एवं मात्र चार (4) प्राचार्य के भरोसे कुल 116 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को छोड़ दिया गया. इससे संस्थान के खिड़कियां एवं दरवाजे बर्बाद हो रहे हैं एवं वहां पर असामाजिक तत्वों का अड्डा बन रहा है.
झारखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले पर इसी साल 29 मई को संज्ञान में लेते हुए झारखंड सरकार के उच्च पदस्थ पदाधिकारियों को प्रति शपथ पत्र 4 सप्ताह में दाखिल करने का आदेश दिया था.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से विरोध दर्ज कराया गया कि याचिका में बनाए गए प्रतिभागियों में से किसी ने भी प्रति शपथ पत्र दायर नहीं किया. वल्कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान हेहल रांची के प्राचार्य जियाउर रशिद के द्वारा प्रति शपथ पत्र दायर किया गया है, जो कि सक्षम पदाधिकारी नहीं है. वे याचिका में उठाये गए मुद्दों को जवाब देने में समर्थ नहीं है.
इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई एवं कहा कि हाईकोर्ट के आदेश को मजाक नहीं बनाया जाए. क्या किसी चपरासी को भी अधिकृत कर प्रतिस्थापित प्रति शपथ पत्र दायर कराई जा सकती हैं.