जमशेदपुर: हिंदूपीठ की स्थापना दिवस के अवसर पर 25 दिसंबर को बिस्टुपुर स्थित हिन्दूपीठ में हिन्दू धर्म सम्मेलन आयोजित किया गया. समस्त कोल्हान से आये हजारों की संख्या में हिंदू कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में हिन्दूपीठ में ध्वज पूजन एवं गणपति पूजन के साथ हिन्दू धर्म सम्मेलन की शुरूआत की गई. सम्मेलन में धूमधाम से भारत माता की आरती आयोजित की गयी. कुछ दिनों पहले हिंदूओं के समागम स्थल हिन्दूपीठ स्थित सिद्धि विनायक मंदिर की टाटा स्टील एवं प्रशासन के द्वारा जबरन घेराबंदी कर दी थी, इसको लेकर समस्त हिन्दू कार्यकर्ताओं में जबरदस्त आक्रोश था. धर्म सम्मेलन के दौरान आयोजित विचार गोष्ठी में यह मुद्दा गरमाया रहा. आरएसएस के वरिष्ठ स्वयंसेवक गुहा राम जी ने इसे हिंदुओ के प्रति अन्याय बताते हुए टाटा कंपनी को चेताते हुए कहा कि अगले दस दिनों के अंदर हिन्दूपीठ की घेराबंदी को मुक्त करें, अन्यथा हिन्दुओं के आक्रोश व प्रतिक्रियात्मक कारवाई का सामना करना सम्भव नहीं होगा.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संचालक अभय सामंत ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शक्तियां पनप गयी है, आज जब भारत की सरहदों की तरफ कोई आंख उठा कर नहीं देख सकता, वही देश आंतरिक अंतर्राष्ट्रीय तत्वों से जूझना पड़ रहा है. अंतर्राष्ट्रीय शक्तियां योजनाबद्ध तरीके से देश को आंतरिक नुकसान पहुंचा रही है, अब हमें तुरंत संभल जाना होगा.
विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्त अधिकारी वीरेंद्र गुप्ता ने बच्चों को घरों पर धार्मिक शिक्षा देने की बात कही. बताया की विद्यालयों के पाठ्यक्रम से धार्मिक शिक्षा को बाहर कर सालों पहले अंग्रेजो ने देश की नींव खोदने का काम किया था, जिसके कारण आज युवा वर्ग भटक गया है.
हिन्दूपीठ के अध्यक्ष अरुण सिंह ने कहा की हिन्दूपीठ शहर के सभी हिन्दूवादी संगठनों को एकजुट करने के उद्देश्य से कार्य कर रही है. झारखण्ड क्षत्रिय संघ के अध्यक्ष शम्भू सिंह ने धर्म की वतर्मान चुनौतियों के प्रति आगाह किया. हिंदुत्व रक्षा के लिए बेहतर कार्य करने वाले युवाओं लक्ष्मण, रवि सिंह, चिंटू सिंह, प्रवीण, शशि, शक्ति, सूर्या चौहान, अक्षय, अभिमन्यु, प्रकाश दुबे, हितेश, आदित्या एवं अन्य को अथितियों ने सम्मेलन में अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया.
हिन्दूपीठ के अध्यक्ष अरुण सिंह, किशोर गोलछा, आशुतोष सिंह, सोमनाथ सिंह, रंजीत सिंह, तारक नाथ दास, उषा सिंह एवं तमाम सदस्यों ने सम्मेलन के आयोजन में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी निभाई. सम्मेलन का समापन महाप्रसाद के साथ हुआ.