जमशेदपुर: सीएए और एनआरसी के आग की चिनगारी अब झारखंड के आर्थिक राजधानी कही जानेवाली लौहनगरी जमशेदपुर में भी भड़ने लगी है. वैसे इस चिनगारी की आहट पिछले एक महीने से भड़क रही है. लेकिन जिला प्रशासन इस चिनगारी को या तो समझना नहीं चाह रही, या सरकार की मौन स्वीकृति के आगे जिला प्रशासन नतमस्तक है.
जिला प्रशासन और सरकार के इसी मौन स्वीकृति के बीच गुरुवार को जमशेदपुर से साकची स्थित आम बगान मैदान में हिंदूवादी संगठन और सीएए- एनआरसी विरोधी मुस्लिम संगठन आमने सामने नजर आई. वहीं दोनों को समझाने में जिला प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी. हालांकि दोनों ही संगठन अभी भी आमने- सामने है, और दोनों ही संगठन अब खुलकर विरोध और समर्थन में मैदान में उतर गए हैं. हिंदूवादी संगठनों ने ऐलान कर दिया है, कि जो भी जहां भी इस बिल के विरोध में धरना- प्रदर्शन करेगा उनके द्वारा भी समर्थन में उसी जगह सभा की जाएगी. मतलब साफ है, सीएए- एनआरसी के विरोध और समर्थन में अब लौहनगरी जमशेदपुर भी जलनेवाला है.
इधर जिला प्रशासन का दावा है कि बगैर इजाजत के किसी को भी सभा या प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं होगी. अब सवाल ये उठता है, कि आज के सभा की अनुमति जिला प्रशासन की और से दी गई थी? अगर जिला प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं दी गई थी, तो किसके इजाजत से आम बगान में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं का जमावड़ा लगाया जा रहा था.
जिला प्रशासन का कहना है, कि उन्हें मालूम नहीं था कि परमीशन रद्द कर दी गई है. वहीं हिन्दूवादी संगठनों का कहना है, कि जमशेदपुर में शाहीन बाग बनने नहीं दिया जाएगा. यानि अब जमशेदपुर जिला प्रशासन के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई तय है क्योंकि पिछले एक महीने से जमशेदपुर के अलग- अलग हिस्सों नें विरोध और समर्थन को लेकर धरना प्रदर्शन और आंदोलन जारी है. वहीं बिल का विरोध कर रही छात्राओं ने सरकार को जाहिल और अशिक्षित करार देते हुए बिल वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही.