रांची : मानव सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए शहर के समाजसेवी तुषार कांति शीट को दर्जनों संस्थाओं ने सम्मानित किया है. तुषार कांति शीट शहर सामाजिक संस्था श्रीरामकृष्ण सेवा संघ से जुड़े हैं. मानवता की सेवा को उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना रखा है. वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के मद्देनजर लागू देशव्यापी लाॅकडाउन के दौरान जरूरतमंदों, गरीबों, बेसहारा, बेघरों को वह अपने स्तर से हर संभव सहयोग पहुंचाते रहे हैं. शीट, पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक हैं. वह पशु प्रेमी भी हैं. लॉकडाउन में लावारिस बेजुबान जानवरों के लिए भी निवाले की व्यवस्था में वह जुटे रहे.
पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण को बढ़ावा देते हुए पर्यावरण जागरूकता अभियान चलाने के प्रति भी सतत प्रयासरत रहते हैं. कोरोना संक्रमण काल के दौरान पीड़ित मानवता की उत्कृष्ट सेवा के लिए देश की दर्जनाधिक सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संस्थाओं द्वारा उन्हें कोरोना योद्धा के सम्मान से नवाजा गया है. जिन संस्थाओं ने श्री शीट को सम्मानित किया है, उनमें सीएसआर टाइम्स एंड इंडिया अचीवर्स फोरम, सूर्यांश भारत मिशन ट्रस्ट, ऑल इंडिया ह्यूमन राइट्स, संत सुरक्षा मिशन, सनातन एकता मंच, उम्मीद एक सहारा फाउंडेशन, लखनऊ, समर्पण वेलफेयर एसोसिएशन, वॉइस अगेंस्ट क्राईम एंड करप्शन, पीस जस्टिस यूनिटी एंड रिलीफ फाउंडेशन, आस्था फाउंडेशन ट्रस्ट, उड़ीसा, दादासाहेब फाल्के आईकॉन अवॉर्ड फिल्म्स, मुंबई, राष्ट्रीय मानव अधिकार एवं भ्रष्टाचार निवारण भारत, क्लीन केयर भारत सोसायटी, देवघर और दार्शनिक मुंबई शामिल है.
इस संबंध में तुषार कांति ने बताया कि समाजसेवा को ही उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है. गरीबों और बेसहारों की सेवा करने में उन्हें सुखद अनुभूति होती है. पीड़ितों की सेवा करना वह सबसे बड़ा मानव धर्म मानते हैं. मानवता के प्रति उनके इस पुनीत कार्य में उनकी पत्नी और परिजन सहित उनके सहयोगियों का भी भरपूर सहयोग मिलता है. वह कहते हैं कि समाज सेवा को ही उन्होंने अपना ओढ़ना-बिछौना बना लिया है. गरीबों का दुख-दर्द बांटना उनकी दिनचर्या में शुमार है. इस संबंध में श्री शीट एक गाना “अपने लिए जिए तो क्या जिए? ऐ दिल तू जी जमाने के लिए” गुनगुनाते हुए अपनी बातों को समाप्त करते हैं.