रांची:- राजधानी के बिरसा चौक (हटिया स्टेशन रोड) पर अवस्थित होटल पार्क ईन के संचालक रामाशंकर प्रसाद ने जगन्नाथपुर थाने की पुलिस पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. रामाशंकर ने गुरुवार को होटल पार्क इन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को बताया कि उनके साथ जगन्नाथपुर थाने की पुलिस भेदभावपूर्ण व्यवहार कर रही है. उन्हें बेवजह थाने में बुलाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. इस संबंध में रामाशंकर ने बताया कि उनके होटल के एक हिस्से पर स्थानीय कुछ असामाजिक तत्वों की नजर गड़ी है. विगत लगभग दो दशक से उनपर उक्त भूखंड छोड़ देने का दबाव बनाया जाता रहा है. श्री प्रसाद ने कहा कि उनके पास होटल की जमीन की रजिस्ट्री और इससे संबंधित सभी वैध कागजात रहने के बावजूद उन्हें उनके चाचा शत्रुघ्न प्रसाद व चेहरे भाई ओम प्रकाश और संतोष प्रसाद द्वारा बेवजह परेशान किया जाता है. अक्सर उनके साथ चाचा और चचेरे भाई मारपीट किया करते हैं. उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर उनकी वैध जमीन जबरन कब्जा करने की मंशा से तंग किया जाता है. रामाशंकर ने बताया कि इस क्रम में गत 9 नवंबर की रात में लगभग साढ़े नौ बजे जब वे सिंह मोड़ स्थित अपनी शराब दुकान से दिनभर की बिक्री का कलेक्शन कर वापस अपने आवास की ओर लौट रहे थे, उस समय उनके चचेरे भाई ओम प्रकाश और संतोष ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ उन पर हमला कर दिया, इस हमले में उनका सिर फट गया. रामाशंकर ने बताया कि उनके पास मौजूद 1.60 लाख रुपए भी अपराधियों ने लूट लिए. उन्होंने बताया कि अपराधियों की मंशा उन्हें जान से मार डालने की थी, लेकिन उनके द्वारा शोर मचाए जाने पर आसपास के लोग जुट गए, जिससे अपराधी भाग खड़े हुए और उनकी जान बची. उन्होंने कहा कि इस संबंध में तत्काल वे घटना की जानकारी देने के लिए जगन्नाथपुर थाना पहुंचे. जहां से उन्हें इलाज के लिए डोरंडा अस्पताल जाने की सलाह दी गई. वहां से उन्हें रिम्स रेफर किया गया. जहां उनका इलाज हुआ. चिकित्सकों की सलाह पर रिम्स की बजाय बिरसा चौक स्थित नारायणी अस्पताल में इलाज के लिए वे भर्ती हुए. उन्होंने बताया कि इस मामले में जगन्नाथपुर थाना द्वारा 10 नवंबर को अस्पताल में उनका बयान लिया गया. इसके बावजूद इस दिशा में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि जगन्नाथपुर थाने की पुलिस जानलेवा हमला और लूट की घटना को झूठा साबित कर मामले को रफा-दफा करने में जुटी है. अभियुक्तों को बचाने के लिए जगन्नाथपुर पुलिस तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है. उन्होंने बताया कि इस घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों से ही जगन्नाथपुर थाने में उल्टे उनके ही विरुद्ध एक मामला दर्ज कराया गया है. जिसमें मेरे ऊपर रंगदारी मांगने का आरोप लगाया गया है. उन्होंने बताया कि यही नहीं, 10 नवंबर की रात्रि लगभग आठ बजे जगन्नाथपुर थाना के चार-पांच जवान कुछ असामाजिक तत्वों को साथ लेकर उनके होटल के पिछले हिस्से की दीवार को तोड़कर गिराने लगे. इसकी सूचना तत्काल होटलकर्मियों ने अस्पताल में भर्ती रमाशंकर प्रसाद को दी, तब वे अस्पताल से वाहन द्वारा अपने होटल पहुंचे और पुलिसकर्मियों से दीवार तोड़ने का कारण पूछा, इसपर पुलिसकर्मियों ने बताया कि एसडीओ का आदेश है. लेकिन लिखित आदेश को नहीं दिखाया. रमाशंकर द्वारा इसका पुरजोर विरोध किए जाने पर सभी पुलिसकर्मी और असामाजिक तत्व वहां से भाग खड़े हुए. उन्होंने कहा कि इस मामले में जगन्नाथपुर पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है. उनके मुताबिक इस पूरे प्रकरण में जगन्नाथपुर थानेदार की भूमिका पर सवालिया निशान लगा है. उन्होंने कहा कि अभियुक्त अपराधिक प्रवृत्ति के लोग हैं. जगन्नाथपुर थाने की पुलिस का संरक्षण प्राप्त होने से उनका मनोबल काफी बढ़ा हुआ है. उन्होंने बताया कि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का धौंस जमाकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी इन अपराधियों द्वारा दिग्भ्रमित किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर पुलिस के उच्चाधिकारियों से भी उन्होंने न्याय की गुहार लगाई है. सदर अनुमंडल अधिकारी से मिलकर उन्हें भी वस्तुस्थिति की जानकारी से अवगत कराया गया है. रामाशंकर प्रसाद ने जमीन संबंधी विवाद का निपटारा जमीन के कागजातों की जांच के आधार पर करने और इस मामले का पटाक्षेप करने का अनुरोध किया है.