चतरा: कहा जाता है शिक्षा ही समाज के विकास का पहला साधन है. सरकार भी शिक्षा के विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकती हैं, लेकिन आज भी कई ऐसे स्कूल है जहां शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है.
केंद्र और राज्य सरकार भले ही बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ का नारा लगा रही हो. लेकिन चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड के लिए ये बाते सिर्फ कागजी नारों तक सीमित नजर आ रही है, क्योंकि प्रखंड के एकमात्र परियोजना बालिका उच्च विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं की शिक्षा का अधिकार नहीं मिल रहा है.
सिमरिया की लगभग 500 छात्राएं बालिका उच्च विद्यालय में उन्हें अपना पठन-पाठन करती हैं. उन्हें पढ़ाने के लिए 2 शिक्षक ही स्कूल में हैं जो हिंदी और गणित पढ़ाता है, जबकि यहां 8 शिक्षकों का पद है.
टीचर की कमी के कारण स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को विज्ञान, अंग्रेजी जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
वहीं, शिक्षकों की कमी के कारण प्रखंड के सिमरिया इलाकों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों से आने वाली छात्राओं को मजबूरन निजी कोचिंग संस्थानों का सहारा लेना पड़ता है.
मामले में स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षकों का कहना है कि शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई के साथ-साथ विद्यालय की अन्य विधि व्यवस्था चौपट हो रही है.
प्रिंसिपल का कहना है कि उन्होंने कई बार विभाग को पत्र लिखा लेकिन नतीजा सिफर रहा. जिससे साफ जाहिर होता है कि सरकार कागजों में बेटी पढ़ाओ का नारा देने में लगी हुई है, जबकि धरातल पर आलम कुछ और ही है.