रांची : आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि हूल विद्रोह के नायकों को इतिहास के पन्नों में वह जगह मिले, जिसके वे असली हकदार थे. अग्रेजी शासन और जुल्म, शोषण, दमन के खिलाफ तथा अपनी धरती और अस्तमिता की खातिर विद्रोह का चिराग जलाने वाले शहीद सिदो-कान्हू की शौर्य गाथा का आंशिक तौर पर उल्लेख किया गया है.
आज हम सभी और खासकर झारखंड के लिए गर्व और गुमान का दिन है. हूल के नायकों का बलिदान युगो- युगो तक याद रखा जाएगा.
हूल दिवस के मौके पर सिदो- कान्हू के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्होंने यह बातें कही.
उन्होंने कहा कि धरती के इन महानायकों सिदो-कान्हू, चांद- भैरव, फूलो-झानो की वीरता की कहानी अमिट रहेगी.
यह संकल्प लेने का भी अवसर है कि वीर सपूतों के सम्मान में झारखंड के हितों, अधिकारों , विचारों तथा विषयों की रक्षा के लिए हम अपना कर्तव्य निभाते रहेंगे.
सुदेश कुमार महतो ने कहा, ”1857 स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई मानी जाती है, लेकिन 30 जून 1855 में साहिबगंज जिले के भोगनाडीह से स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई का बिगुल फूंका गया था. इसलिए मेरा मानना है कि इतिहास एक बार पुनः लिखने की जरूरत है”.
उन्होंने कहा कि सिदो कान्हु ने ‘‘करो या मरो’’ का नारा दिया था. साथ ही लोगों को मानव संपदा के लिए जागरुक किया था.
हूस दिवस पर ही यह जरूरी है कि सिदो- कान्हू के वंशजों के प्रति भी हम सभी सम्मान का भाव रखें, उनके दुख- सुख का साझीदार बनें.