जमशेदपुर : सरकार डायन उन्मूलन को लेकर बड़े- बड़े दावे जरूर करती है, लेकिन 21 वीं सदी के भारत में डायन प्रताड़ना का कोढ़ समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा. भले हम चांद और सूरज पर आशियाना बनाने की सोच रहे हैं लेकिन डायन प्रताड़ना जैसी मानसिकता से आज भी हम निकल नहीं पा रहे हैं. ताजा मामला सरायकेला खरसावां जिला के सिनी ओपी क्षेत्र का है.
डोमजुड़ी गांव की रहने वाली छः बच्चों की मां सीता माझी को उसके ही पति ने डायन बता बुरी तरह से पिटाई कर घर से निकाल दिया. सीता का पति दिलीप माझी रेलवे में नौकरी करता है और आए दिन पत्नी को डायन कह कर प्रताड़ित करता रहता है. हालांकि इसके पीछे के कारणों पर सीता बताती है, कि उसका पति का अन्य किसी महिला के साथ नाजायज संबंध है. इसी को लेकर आए दिन इस तरह की हरकतें करता रहता है.
सीता ने बताया कि इससे पूर्व भी वह दो बार पराई महिला को घर ला चुका है. जिसमें से एक महिला घर छोड़कर भाग गई है. उधर पति की बेरहमी से पिटाई के बाद किसी तरह से जान बचाकर सीता बिरबांस पहुंची. जहां डायन प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाने वाली छुटनी महतो से मिलकर अपनी आपबीती सुनाई. उधर छुटनी सीता को लेकर जमशेदपुर के सोनारी स्थित फ्री लीगल एड कमेटी (फ्लैग) परामर्श केंद्र पहुंची. जहां सीता के आवेदन के बाद कमेटी के सदस्यों ने आगे की कार्रवाई की प्रकिया शुरू कर दी है.
फिलहाल सीता को छुटनी के साथ बीरबांस स्थित रिहाइब्लेशन केंद्र भेज दिया गया है. हालांकि इस संबंध में समाचार लिखे तक सीनी थाना में शिकायत दर्ज नहीं कराई जा सकी है. सीता का मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, और उसके स्वस्थ होने का इंतजार किया जा रहा है. सवाल ये उठता है कि आखिर इतने जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने के बाद भी आज ऐसी कुप्रथाओं को समाज में पराश्रय देने का काम किस आधार पर किया जा रहा है. ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार क्यों नहीं किया जाता.
क्यों ऐसे प्रताड़ना देने वाले लोग कानून की गिरफ्त से आसानी से बाहर निकल जाते हैं. वैसे कई अनसुलझे सवाल आज भी है जिसका जवाब 21वीं सदी के भारत को ढूंढना है. उधर छुटनी ने महिला को लेकर इलाज करा कर वापस अपने घर लौटी. उनका कहना है की जरूरत पड़े तो रांची जाकर मुख्यमंत्री से मुलाकात कर न्याय की गुहार लगाएंगी.