पाकिस्तान: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि उनके ऊपर पाकिस्तानी सेना का कोई दबाव नहीं है और उन्होंने अपने घोषणापत्र के वादों को लागू किया है.
पाकिस्तान के एक प्राइवेट चैनल को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने पत्रकार मंसूर अली ख़ान से कहा, “मैं फ़ौज का विरोध तो तब करूं जब वो मुझ पर कोई दबाव डाले. आज तक ऐसी कोई एक भी चीज़ नहीं है जो मैं करना चाहता हूं और फौज मुझे करने से मना करती है.”
प्रधानमंत्री का कहना है कि घोषणापत्र उठा कर देखें तो पता चलेगा कि उनकी सारी विदेश नीति तहरीक-ए-इंसाफ की ही है.
उन्होंने कहा, “जब नवाज शरीफ और जरदारी सरकार से निकल जाते हैं तो वो विदेश नीति में फौज के दखल की बात करते हैं. वो कहते हैं कि वो हिंदुस्तान से दोस्ती करना चाहते थे लेकिन फौज ऐसा नहीं चाहती. लेकिन उनका घोषणापत्र पढ़ कर देखना चाहिए कि उन्होंने उसे लागू किया है.”
इस मामले पर बात करते हुए उन्होंने अफ़ग़ान शांति वार्ता का उदाहरण पेश किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने मुसलमान देशों को इकट्ठा करने की बात की थी लेकिन इस्लामिक देशों के आपसी मुद्दों पर किसी का पक्ष नहीं लिया.