खास बातें:
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बोर्ड के बारे में शिक्षा विभाग को नहीं है जानकारी
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राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पता नहीं
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आरटीआई के तहत पूछे सवाल में नहीं मिला जवाब
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सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है जनहित याचिका
जमशेदपुर: देश भर में आईसीएसई बोर्ड फर्जी तरीके से संचालित हो रहे हैं ! इस बारे में न तो शिक्षा विभाग को पता है, न ही राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री कार्यालय को. इसका खुलासा जमशेदपुर के आरटीआई कार्यकर्ता सदन ठाकुर को मिली जानकारी में हुआ है. पीएमओ और राष्ट्रपति भवन से मिले जवाब के आलोक में ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है.
ये जानकारी मांगी गई थी
आईसीएसई शिक्षक संस्थान में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य के बारे में सोचते हुए आरटीआई कार्यकर्ता सदन ठाकुर ने सूचना के अधिकार कानून के तहत इस संबंध में जानकारी मांगी थी. सदन ने पूछा था कि क्या देश भर में आईसीएसई बोर्ड फर्जी तरीके से संचालित हो रहे है? क्या आईसीएसई बोर्ड की आड़ में शिक्षा माफिया मोटी रकम उगाही कर रहे है?
सदन ने बताया कि सूचना के अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी का जवाब न तो शिक्षा विभाग के पास है और ना ही देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कार्यालय के पास. तो क्या वाकई देश भर के आईसीएसई बोर्ड फर्जी तरीके से संचालित हो रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पीएमओ और राष्ट्रपति भवन से मिले जवाब के आलोक में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है.
उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं
इस संबंध में जमशेदपुर जिला शिक्षा पदाधिकारी शिवेंद्र कुमार ने कहा कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं है. इस पर शासन और प्रशासन के निर्णय लेने के बाद कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
हालांकि, यह मामला देशभर का है, इसलिए जिला शिक्षा अधीक्षक या शिक्षा पदाधिकारी कुछ खास नहीं कर सकते.
शिक्षा का बाजारीकरण हो रहा
आरटीआई कार्यकर्ता सदन ठाकुर कहते हैं कि एक देश में अलग-अलग संस्थान बनाकर शिक्षा का बाजारीकरण किया जा रहा है. एक देश, एक बोर्ड, एक परीक्षा संचालित होनी चाहिए, ताकि बच्चों के अभिभावकों को एक समान फीस चुकाना पड़े.