जावेद अख्तर,
गोड्डा: महागामा अनुमण्डल अन्तर्गत हनवारा क्षेत्र के रामकोल पंचायत भवन के पास बड़ी मात्रा में ईंट का निर्माण व् छोटे बड़े कई ईंटो का भट्ठा लगाया गया है. सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि बगल में नदी होने के कारण ईंट भट्ठों का संचालक नदी से भारी मात्रा में अबैध बालू खनन व् मिट्टी का खनन कर ईंट बनाने का कार्य कर रही हैं. लेकिन प्रशासन पूरी तरह हाथ में हाथ मिलाई बैठी हुई हैं. ईंट का कारोबार क्षेत्र के अलावे दूसरे राज्य में निजी निर्माण के अलावा शासकीय कार्यों के लिए इसका उपयोग हो रहा है,जिसके लिए खनिज विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है.
जिस कारण यहाँ इन दिनों अवैध ईट भट्ठों का संचालन जोर-शोर चल रहा है. संचालकों द्वारा न तो खनिज नीति का पालन किया जा रहा है और न ही स्थानीय निवासियों की स्वास्थ्य की कोई चिंता हैं. बाहर से मजदूर बुलाकर गुणवत्ताहीन ईंट से मोटी रकम कमा रहे हैं. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जहां तक कहा जाय तो ईंट का निजी निर्माण के अलावा शासकीय कार्यों के लिए इसका उपयोग हो रहा है, जिसके लिए खनिज विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है. हालांकि नियमानुसार से 25 हजार तक ईंट बनाने के लिए तहसीलदार व 50 हजार या इससे अधिक ईंट निर्माण के लिए खनिज विभाग का अनुमति लेना होता है, लेकिन यहाँ वर्षो से कई ईट भट्ठे लगाए जा चुके हैं और लगाए भी जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन इन अवैध भट्ठों पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो पा रहा है, और न ही किसी प्रकार की कोई कार्रवाई कर रहे हैं.
जहां महीनों से रामकोल पंचायत भवन के आस पास में अवैध ईट भट्ठों का खेल चल रहा है. और संचालकों द्वारा यहां धड़ल्ले से ईंट भट्ठों का कारोबार बड़े पैमाने पर चला रहे हैं. बिना किसी पैमाने के यह कारोबार ग्रामीणों के आड़ में ठेकेदार चलाते हैं, उनकी देखा देखी स्थानीय निवासी भी नियमों की अनदेखी कर निर्माण कराया जा रहा है. यह सिलसिला वर्षों से देखने को मिल रहा है. वहीं विभागीय की ओर से कसावट नहीं होने के कारण ईट भट्ठों का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. ईंट को पकाने के लिए अबैध कोयला का भी प्रयोग किया जा रहा है.
बता दें कि संचालित ईंट भट्ठा संचालकों ने खनिज विभाग से एनओसी नहीं लिया है. साथ ही पर्यावरण विभाग से भी अनुमति नहीं ली गई है. बावजूद इसके जांच या कार्रवाई नहीं होने से संचालकों की मनमानी बढ़ती जा रही है. इस तरह अवैध भट्ठा संचालन से सरकार को रायल्टी का नुकसान पहुंचा रहे हैं.