खास बातें:-
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डीजी सेट लगाने के लिए प्रदूषण बोर्ड ने बनाये हैं कई नियम
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राजधानी सहित राज्य में कहीं नहीं हो रहा नियम का पालन
रांची: रौशनी अच्छी लगती है. अंधेरा काटने को दौड़ता है. यही कारण है कि बिजली गुल हो जाने पर हम इसके विकल्प का तुरंत उपयोग करते हैं. घरों में तो इन्वर्टर से काम चला लेते हैं. बड़े-बड़े सरकारी संस्थान, मॉल, कॉमर्शियल हाउस में इससे काम नहीं चल पाता है. इसके लिए वहां जरूरत की क्षमता का जनरेटर सेट लगाया जाता है. इससे मिलने वाली बिजली से अंधेरा दूर हो जाता है.
हालांकि, इसे लगाने के लिए बने नियमों का पालन नहीं करने से इससे निकलने वाले धुएं जिंदगी की धड़कन धीरे-धीरे बंद हो रही है. डीजी से निकलने वाला धुआं लोगों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है. इसकी वजह से कई तरह की बीमारियां हो रही है और व्यक्ति मौत के मुंह में समाता जा रहा है.
ऐसे जहरीले कण मिलते हैं धुएं में-
डीजी सेट और मोटर वाहनों में एक ही डीजल का उपयोग होता है. इससे निकलने वाले धुएं में कई तरह के जहरीले कण पाये जाते हैं. इससे व्यक्ति को कई तरह की बीमारी होने का अंदेशा रहता है.
बेंजीन: ये धुएं से निकलता है. लंबे समय से व्यक्ति यदि इसके संपर्क में रहता है, तो उसे ल्यूकीमियां (कैंसर का एक प्रकार) की संभावना बढ़ जाती है.
कैडमियम: ये भी धुएं में शामिल होता है. लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने वालों को किडनी से संबंधित बीमारियां होती हैं.
कार्बनमोनोक्साइड: इनसे फेफड़ों में खराबी, हड्डियों की कमजोरी, शरीर में ऑक्सीजन की कमी और ह्यदय संबंधी विकार पैदा होते हैं.
नाइट्रोजन ऑक्साइड: इनसे खांसी, अस्थमा, आंखों की बीमारी पैदा होती है.
लेड: धुएं में यह भी पाया जाता है. इससे मस्तिष्क की बीमारी, उच्च रक्तचाप, शारीरिक वृद्धि आदि होती है.
आदेश निकालने में हुई देरी.
डीजी सेट के लगाने को लेकर सेंट्रल पब्लिक वकर्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) ने वर्ष 2013 में ही नियम बनाया है. यह सभी भवन/संस्थानों के लिए प्रभावी है. इस आदेश के पांच साल बाद यानी 2018 में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आदेश जारी किया. इसे भी सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों के लिए ही प्रभावी किया गया है.
अब तक किसी को नोटिस नहीं
डीजी सेट लगाने के लिए बने नियमों का उल्लंघन सरकारी से लेकर निजी संस्थानों द्वारा किया जा रहा हैं. हालांकि, अब तक नियम का उल्लंघन करने से संबंधित नोटिस किसी को नहीं देने की बात सामने आई है.
सबकी नजर में है ये तथ्य
आम तौर पर मंत्री, सरकारी अधिकारी से लेकर हर किसी की नजर में यह तथ्य रहता है. हर कोई बाजार, शैक्षणिक संस्थान में जाते हैं. उनकी नजरों के सामने डीजी सेट चलते रहते हैं. इससे धुआं भी निकलता है. इसके बावजूद भी वे आंखें बंद किये रहते हैं.
डीजल जनरेटर के लिए हैं ये नियम
डीजल जनरेटर रखने के लिए के लिए कई नियमों का पालन करना अनिवार्य है. इसमें एक है डीजी सेट के साथ चिमनी का होना. चिमनी की ऊंचाई मकान, मॉल, अपार्टमेंट और डीजी सेट की क्षमता पर निर्मर करता है.
क्षमता चिमनी की ऊंचाई
- 50 केवीए ऊंचाई के साथ 1.5 मीटर
- 50 से 100 केवीए ऊंचाई के साथ 2 मीटर
- 150 से 200 केवीए ऊंचाई के साथ 3 मीटर
- 200 से 300 केवीए ऊंचाई के साथ 3.5 मीटर
- 1000 केवीए से अधिक 30 मीटर या भवन की ऊंचाई से 3.5 मीटर में जो अधिक हो
कोट
”नियम का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है. इसकी जांच के लिए टीम का गठन किया गया है. पकड़े जाने पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है”:- राजीव लोचन बक्शी, सदस्य सचिव, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड.