चतरा: चतरा के घोर नक्सल प्रभावित कुंदा प्रखंड मुख्यालय के धरतिमांडर बस्ती में आदिम जनजाति परिवार के लोगों ने श्रमदान कर एक मिसाल पेश किया है. वर्षों से गांव में सड़क निर्माण की मांग कर रहे ग्रामीणों ने विकास की किरण दिखाई नहीं पड़ने के बाद न सिर्फ आपसी चंदा किया बल्कि श्रमदान कर जंगल-झाड़ी से घिरे पगडंगी को शानदार सडक का शक्ल देकर सरकार और प्रशासनिक व्यवस्था को विकास के दावों का आईना दिखाया है.
प्रशासनिक उपेक्षा और जनप्रतिनिधियों के खामोशी से बदहाल आदिम जनजाति परिवार के लोगों ने गया के दशरथ मांझी को अपना आदर्श मानकर न सिर्फ अपने पिछड़े गांव को विकास के मुहाने पर ला खड़ा किया है. बल्कि चुनावों में विकास के ढोल पीटने वाले जनप्रतिनिधियों को भी खुली चुनौती पेश कर दी है.
ग्रामीणों का कहना है राज्य गठन के बाद प्रदेश में कई सरकारें बदली, हमने कई जनप्रतिनिधियों के सामने सड़क निर्माण की मांग रखी, लेकिन वर्षों बित जाने के बाद भी गांव में सड़क का निर्माण आजतक नहीं हुआ. ऐसे में हमने एकजुटता का परिचय देते हुए क्षेत्र में विकास के दावे हांकने वाले अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को विकास का आईना दिखाया है.
इसी का नतीजा है कि अबतक पगडंडियों में अपनी पहचान खोने वाले हमारे गांवो तक न सिर्फ गाड़ियां पहुंच रही है बल्कि बीमारी से अकाल मौत के गाल में समाने वाले हम ग्रामीणों को एक नई जिन्दगी मिल रही है और आज हमारा गांव भी सड़क से जुड़कर विकास के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है. क्योंकि पहले कई ग्रामीणों की मौत इलाज के अभाव में रास्ते मे ही हो जाती थी. ग्रामीणों के इस जज्बे को देखकर हर कोई हैरान है.