राष्ट्रीय औसत से 30 फीसदी कम है झारखंड में सिंचाई सुविधा
जलसंसाधन विभाग का दावा: 54 में से 46 डैमों में है पानी
भूृ-गर्भ जल नीति बनने में और छह माह का लगेगा समय
रांची: जलसंसाधन मंत्री रामचंद्र सहिस ने कहा है कि पिछले साढ़े चार साल में 21 फीसदी सिंचाई क्षमता में वृद्धि हुई है। साढ़े चार साल पहले प्रदेश में 16 फीसदी ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध थी, जो बढ़कर 37 फीसदी हो गई है। वहीं राष्ट्रीय औसत 67 फीसदी है जबकि झारखंड में 37 फीसदी ही सिंचाई क्षमता है। इस हिसाब से झारखंड में सिंचाई क्षमता राष्ट्रीय औसत से 30 फीसदी कम है। जलसंसाधन मंत्री बुधवार को सूचना भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि राज्य में 27.03 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। इसमें 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध है।
2020 तक 268962 हेक्टेयर में होगी सिंचाई सुविधा उपलब्ध
मंत्री ने बताया कि 2015 में मध्यम एवं वृहद सिंचाई योजना के तहत 91323 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध थी। 2018-19 में यह बढ़कर 210720 हेक्टेयर हो गई। 2020 तक 268962 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को सालों भर पानी के लिए सीडब्ल्यूसी से 26 रिजर्व वायर योजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं। इन योजनाओं के पूरा होने से 102000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं होगी। इंटर स्टेट स्कीन के लिए सेंट्रल वाटर कमिशन मध्यस्थता कर रहा है।
आठ डैमों में पानी नहीं
विभाग के विशेष सचिव रमेश दूबे ने बताया कि जलसंसाधन विभाग के 54 डैमों में से 46 डैमों में भरपूर पानी है। जबकि लोहरदगा में नंदिनी, खूंटी में लतरातू, चतरा में बक्सा, चतरा में बरही, कोडरमा-गिरिडीह में पंचखेरो, पलामू में धनकाई, गढ़वा में चटनिया घाट और पलामू में भूटनडूबा डैम में पानी नहीं है। उन्होंने बताया कि भू-गर्भ जल नीति बनने में और छह माह का समय लगेगा। रांची में लतरातू और तजना से पानी लाने का प्रस्ताव भेजा गया है। बदलते मौसम के कारण पानी संकट की स्थिति उत्पन्न हुई है। लेकिन सरकार इससे निपटने के लिए सक्षम है।
रांची में रिजर्व वायर बनाने में विस्थापन की होगी समस्या
विभाग के अफसरों ने बताया कि रांची में रिजर्व वायर बनाने में विस्थापन की समस्या होगी। लतरातू और तजना से पानी लाने का प्रस्ताव भेजा गया है। झालको में नई बहाली बंद है। कर्मियों के रिटायरमेंट के बाद यह स्वत: बंद हो जायेगा। फिलहाल झालकों में 91 कर्मी हैं। अमानत बराज के लिए 409 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। इसमें 370 हेक्टेयर भू-अर्जन हो चुका है। शेष 94 हेक्टेयर जमीन के भू-अर्जन के लिए 102 करोड़ रुपये की जरूरत है। एक-दो माह के अंदर इसकी प्रशासनिक स्वीकृति मिल जाएगी।
उपलब्धियां और योजनाएं
इस सरकार ने अब तक 71 पुरानी सिंचाई योजनाओं के सुदृढ़ीकरण की स्वीकृति दी। जिसके लिए 2056 करोड़ की राशि की स्वीकृति दी गई।
55 योजनाओं का कार्यान्वयन प्रगति पर है। इससे 70 हजार हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
खरकई बराज का काम पूरा।
अजय बराज योजना का काम पूरा।
अपरशंख जलाशय योजना की नहर से अंतिम छोर तक पहुंचा पानी।
कोनार सिंचाई परियोजना के मुख्य टनल के लाइनिंग सहित अन्य काम पूरा।
पुनासी जलाशय योजना के लिए वन भूमि अपयोजन की मिली स्वीकृति।
भैरवा जलाशय योजना का काम पूरा।
लघु सिंचाई योजना के तहत 2015-16 में छह, 2016-17 में 371, 2017-18 में 344 और 2018-19 में 585 चेक डैम का निर्माण कार्य पूरा।