नई दिल्ली: जलवायु के संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने ‘जलवायु के क्षेत्र में काम करने के लिए’ भारत की सराहना की और कहा कि यह अक्षय ऊर्जा के उपयोग को लेकर पहले से ही विश्व का एक नेता है.
भारत की चार दिवसीय यात्रा पर हैं कैरी
कैरी पांच से आठ अप्रैल तक भारत की चार दिवसीय यात्रा पर हैं. अपनी इस दौरान वह केंद्र सरकार, निजी क्षेत्र और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे. केरी ने ऊर्जा में दक्षिण एशियाई महिलाएं (एसएडब्ल्यूआईई) नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘दुनिया भर में कोविड टीका पहुंचाने सहित कई मुद्दों पर भारत का वैश्विक नेतृत्व महत्वपूर्ण रहा है. मैं विशेष रूप से आभारी हूं कि भारत जलवायु पर काम कर रहा है… आप अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल में निर्विवाद रूप से पहले से ही विश्व नेता हैं. ‘
पीएम मोदी ने सेट किया उदाहरण
उन्होंने कहा कि 2030 तक 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा एक बहुत मजबूत उदाहरण है कि किस प्रकार स्वच्छ ऊर्जा के साथ बढ़ती अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है. भारत के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की विशेष रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह 2040 तक सौर भंडारण में वैश्विक बाजार का प्रमुख बनने की राह में है.
भारत को लेकर कहा ये
केरी ने कहा, ‘तेजी से विस्तार के लिए धन्यवाद, दुनिया में कहीं और की तुलना में भारत में सौर ऊर्जा का उत्पादन पहले से ही सस्ता है. हम आज जिस तरह के संकट का सामना कर रहे हैं, उसका सामना करने के लिए इस प्रकार की तत्काल जरूरत है. जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भारत एक बड़ा भागीदार. वहीं जलवायु संबंधी मामलों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के विशेष दूत जॉन केरी ने बुधवार को कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक मंच पर एक बड़ा भागीदार है. केरी ने कहा कि भारत द्वारा उठाए जाने वाले निर्णायक कदम अब यह निर्धारित करेंगे कि आगामी पीढ़ियों के लिए इस परिवर्तन के क्या मायने होंगे.
क्या है SAWIE?
एसएडब्ल्यूआईई भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) और अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) की संयुक्त पहल है और ऑनलाइन प्रारूप में इसका पहला ‘लीडरशिप समिट’ (नेतृत्व शिखर सम्मेलन) आयोजित किया गया. बाइडन ने कहा, ‘बाकी दुनिया की साझेदारी से भारत द्वारा उठाया गया निर्णायक कदम यह तय करेगा कि आने वाली पीढिय़ों के लिए इस बदलाव के क्या मायने होंगे. ‘