एक कहावत सबने सुनी होगी “अच्छे इंसान के साथ हमेशा अच्छा ही होता है”
आज की दुनिया बदल रही है आज दुनिया में कोई किसी की तरक्की को देखना नहीं चाहता. आज की दुनिया में द्वेष इर्षया, नकारात्मक सोच काफी बढ़ गई है हर कोई अपने आप को समझदार और काफी ज्ञानी समझता है सामने वाले को सोचता है यह तो बेवकूफ है पर कोई यह नहीं समझता कि बेवकूफ बोलने वाले ही सबसे बड़ा मूर्ख होता है.
ऐसी ही एक कहानी है, दो दोस्तों की मुन्ना और बबलू , मुन्ना बहुत ही चालाक था जबकि बबलू काफी सीधा-साधा फिर भी दोनों में दोस्ती काफी थी. या यूं कहिए कि मुन्ना बबलू का सीधापन का फायदा उठाता था. दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे रहते भी दोनों साथ ही थे मुन्ना अक्सर चलाकी से बबलू से सारे काम करवा लेता था.
ऑफिस में भी बबलू अपने काम में मगन रहता और मुन्ना बस समय पास करता था गप्पे लड़ाना हंसी मजाक करना दूसरे पर रौब जमाना यही उसकी आदतें थी, एक बार उसने ऑफिस में एक लड़की को काम करते देखा उसका नाम सुधा था देखने में काफी अच्छी थी मुन्ना ने उसके आगे पीछे घूमना शुरू कर दिया. और वह उसको भाव तक नहीं देती थी, काफी कोशिशों के बाद भी जब वह उससे बात नहीं कर पाया तो उसने अपने मन में एक प्लान बनाया और बबलू से कहा कि अगर तुम उसके साथ दोस्ती करोगे तो मैं तुम्हें बड़ा सा इनाम दूंगा.
पहले तो बबलू ने मना कर दिया. उसने उसको बहुत सारी बातें कहीं दोस्ती के बारे में शिक्षा दिया अंत में बबलू भी थक हार कर तैयार हो गया. बबलू अपने काम से काम रखा था वह बहुत मेहनत करता था उसके जीवन का एक लक्ष्य था मुन्ना तो शुरू से ही काम में मन ही नहीं लगता था. बबलू अपने काम के साथ-साथ उसका भी काम कर देता था. अब बबलू नेट प्लान बनाया और बबलू से कहा कि तुम उस सुधा से बात करो. वह बात करें तो करें फिर भी उसने हिम्मत करके बहुत ही डरते डरते पूछा मैम क्या आप बता
सकते हैं आपका नाम क्या है? उसमें अपने सर को उठाया और उसे घूरते हुए कहा क्यों आपको मेरा नाम क्यों जानना है आपको दोस्त ने भेजा है उनकी दाल नहीं गली तो आप आ गए फिर उसी समय उसने बबलू को डांट लगा कर वापस कर दिया, फिर तो बबलू की हिम्मत ही नहीं होती बात करने की. सुधा चुपचाप अपना काम करती रही. उसे कोई फर्क नहीं पड़ा था.
1 दिन बबलू ने मुन्ना से कहा मेरी शादी ठीक हो गई है दिसंबर में मेरी शादी है मैं अलग घर लेना चाहता हूं मुन्ना ने कहा ठीक है तुम जैसा ठीक समझो. बबलू काफी कुछ बदलता जा रहा था, पहले से काफी ज्यादा टिप टॉप में रहने लगा था. बबलू छुट्टी लेकर मेरठ चला गया कुछ दिनों बाद वह अपनी पत्नी के साथ वापस आया. उसने अपने घर पर दावत रखी और ऑफिस वाले को भी बुलाया था, मुन्ना ने जैसे ही घर में कदम रखा तो सुधा को देख कर चौक गया.
सुधा अंदर में क्या कर रही है यह तो बहुत दिनों से ऑफिस भी नहीं आ रही थी. तभी बबलू ने आकर कहा इनसे मिलो यह है हमारी पत्नी सुधा अग्रवाल क्या मुन्ना की तो आवाज ही बंद हो गई थी ऐसा लग रहा था मानो किसी ने गहरी खाई में धकेल दिया हो, बबलू बोले जा रहा था इससे शादी करने में तो तेरा ही बहुत बड़ा हाथ है अगर तूने उस दिन मुझे वहां ना भेजा होता तो मैं सुधा के दिल में अपने लिए जगह नहीं बना पाता मगर मुन्ना की तो बोलती बंद हो गई थी उसे ऐसा लग रहा था जैसे कहीं दूर से आवाज आ रही थी.
आज मुन्ना को समझ में आ गया था उसने बबलू को हल्के में ले लिया.
शायद इसलिए कहते हैं कोई भी इंसान बेवकूफ नहीं होता वक्त आने पर वह अपना रंग दिखा देता है, इसलिए कभी भी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए वरना वह खुद ही जीवन भर पछताता रह जाता है…