नीता शेखर,
कहते हैं कि तेज रफ्तार से भागना अच्छा नहीं होता है. चाहे वह जीवन का हो ,चाहे वह गाड़ी चलाने का, चाहे तुरंत कुछ पा लेने का, चाहे सफर में जाने का. जिंदगी को तेज नहीं भागना चाहिए हर चीज की एक गति होती है और कुछ भी हो गति के साथ चलना पड़ता है.
यूं ही मुझे याद आ गई मेरी शादी होने वाली थी. सभी तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी. पापा के एक जूनियर इंजीनियर थे राकेश उनकी और हमारी परिवार में काफी घनिष्ठता थी. बिल्कुल पापा के छोटे भाई जैसे वह हमारी हर काम में मदद कर रहे थे.
चाहे कितनी भी परेशानियां हो वह हमेशा चुटकियों में हल कर देते थे. उनकी शादी को मात्र 10 साल हुए थे. आंटी भी बहुत अच्छी और खूबसूरत थी. उनकी दो बेटियां भी थी, अकंल खुद ही बताते थे वह अपने बड़े भाई के लिए लड़की देखने गए थे आंटी उन्हें ही पसंद आ गई. उन्होंने ही शादी कर ली वैसे उन्हें जल्दी जल्दी रहती थी, शादी के कुछ ही दिन उन्होंने मकान भी खरीद लिया.
शादी की दसवीं सालगिरह भी उन्होंने खूब धूमधाम से मनाई. अब उन्होंने कार खरीदने की जिद कर ली थी. सबके मना करने पर भी उन्होंने कार खरीद ली थी. उन्होंने बताया भी नहीं सबके सामने गाड़ी खड़ी कर दी, उन्होंने कहा हम कल ही रजरप्पा जाएंगे गाड़ी की पूजा करने. सबने मना किया कि अभी इतनी जल्दी क्या है. उन्होंने जिद पकड़ ली जाना है तो कल ही, जाने के लिए उन्होंने एक बकरी भी खरीद ली. वह रात भर चिल्लाती रही आंटी को थोड़ा डर लग रहा थी. वह बार-बार बोल रही थी उन्हें घबराहट हो रही है.
अंकल किसी की सुनते ही नहीं थे. उन्होंने अपने पड़ोस को भी नेवता दे दिया था. लगभग कार में 12 लोग थे. थोड़ी दूर जाने पर आंटी ने कहा पूजा की थाली तो घर में छूट गई है. उन्होंने कहा अभी भी वक्त है आप वापस चलें हम किसी दिन चले जाएंगे क्योंकि भगवान हमें बार-बार सचेत कर रहे हैं, पर अंकल कहां मानने वाले थे उन्हें जाना था तो जाना था.
फिर सब चल दिए. धनबाद से रजरप्पा जाने वाली रोड में जीटी रोड आता है वह कार की रफ्तार तेज कर दी सब बच्चे भी मस्ती कर रहे थे पर आंटी का मन घबरा रहा था. वह बार-बार मना कर रही थी इतनी तेज रफ्तार से कार मत चलाइए पर उस दिन तो उनके ऊपर जुनून सवार था. अभी आधा रास्ता ही गए थे कि अचानक एक ट्रक ने कार को धक्का मार दिया फिर भी नहीं माने और कार को तेज भागाने लगे.
इसी बीच रोड पर एक बैल आ गया उसको बचाने के चक्कर में फिर से दूसरे ट्रक में धक्का मार दी. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि अंकल के सिर में स्टेरिंग टूट कर घुस गई और अंकल के सिर के चिथड़े उड़ गए थे. उनको ही ज्यादा चोट लगी थी. बाकी सब को ज्यादा चोट नहीं आई थी. संजोग से उसी समय उस रोड पर मेरी दोस्त के पापा जा रहे थे.
उन्होंने देखा एक औरत बुरी तरह से जख्मी थी. फिर भी अपने पति के सिर को समेटे हुए रो रही थी. मदद की पुकार कर रही थी, उसके पापा ने तुरंत पुलिस को फोन किया और मदद करने की गुजारिश की. थोड़ी देर में पुलिस एंबुलेंस पहुंच गई और सब को लेकर अस्पताल पहुंचे. बाकी लोगों को अस्पताल में जांच के बाद छोड़ दिया गया. अंकल के सिर के अंदर का भेजा
पूरा निकल गया था.
हमारे घर पर फोन की घंटी बज उठी. फोन उठाया अस्पताल से फोन आया था. पापा तुरंत अस्पताल की ओर चले गये. उन्होंने किसी को कुछ भी नहीं बताया. घबराहट हो रही क्या बात हो गई. लगभग दो-तीन घंटे बाद एंबुलेंस में अंकल की बॉडी आई तो देखकर विश्वास ही नहीं हो रहा था. जो हो चुका था उसको वापस तो नहीं लाया जा सकता था.
शायद इसलिए कहते हैं कि सब के समझाने के बावजूद उन्हें काल घेरकर कर ले गया. जिंदगी की तेज रफ्तार ने उनकी जिंदगी ले ली थी. एक हंसता खेलता परिवार बिखर गया था. इसलिए कहा जाता है इतनी तेजी से मत भागो कि जिंदगी भर पछताना पड़े. आंटी और बच्चों को जिंदगी भर अकेले रहने को छोड़ गए थे. आज भी इस घटना को याद करते हैं तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं.