पैसे के लिए आदमी क्या नहीं कर सकता है. समय-समय पर ऐसी खबरें आती रहती हैं कि पैसे के लालच में इंसान अपनी जिंदगी बर्बाद कर बैठ सकता है. सोमवार को सेना ने ऐसे आतंकी को पकड़ा है जो पहले कभी सेना का खबरी हुआ करता था. उस दौरान वह ट्रक ड्राइवर था. लेकिन ज्यादा पैसों के लालच में वह ट्रक ड्राइवर से आतंकवाद की राह पर चल निकला. जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला खूंखार आतंकवादी आशिक अहमद नेंगरू पहले ट्रक ड्राइवर था. वह सेना का खबरी भी था। लेकिन इसी बीच वह आतंकियों के संपर्क में आ गया. अधिक पैंसों के लालच में वह आतंकियों का मददगार बन गया.
अपने आकाओं से अच्छा-खासा पैसा पाकर उसने कुछ ट्रक खरीद लिए और हथियारों की तस्करी शुरू कर दी. साथ ही उसने आतंकवादियों को लाने ले जाने में आतंकी संगठनों की भी मदद की. आखिर में वह जैश-ए-मोहम्मद जॉइन कर लिया और पीओके चला गया. इंटेलिजेंस डोजियर बताता है कि नेंगरू का भाई मोहम्मद अब्बास भी जैश का ही आतंकवादी था जो कुछ साल पहले एक पुलिस एनकाउंटर में मारा गया.
हालांकि पैसे की लालच ने नेंगरू को अलगाववादियों का शुभचिंतक बना दिया है. डोजियर के अनुसार, नेंगरू बाद में हिजबुल मुजाहिदीन के एक नेता के संपर्क में आया, जिसने बाद उसे घाटी में पत्थरबाजों के गढ़ पुलवामा में पत्थरबाजी की घटना को अंजाम देने की जिम्मेदारी सौंपी. नेंगरू प्रत्येक भारत-विरोधी गतिविधि के लिए दो हजार रुपये लेता था. ऐसे कामों में आकर्षित होते हुए नेंगरू ने हिजबुल मुजाहिदीन को छोड़ दिया और घाटी में आईएसआई का प्रमुख नुमाइंदा बन गया.
हाल ही में पंजाब में एक ड्रोन के गिरने के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के नए पोस्टर बॉय नेंगरू द्वारा घाटी में भेजे गए 40 से ज्यादा आतंकवादियों को पकड़ने के लिए व्यापक अभियान चला रखा है. जेईएम भारत विरोधी अभियानों को गति देने के लिए परेशान है. वह भारत में हमले करने के लिए नये-नये तरीके अपना रहा है. पर उसे सफलता हाथ नही लग रही है और हमारी भारतीय सेना इसका मुंहतोड़ जवाब दें रही है.
आशिक अहमद नेंगरू प्रशिक्षित आतंकवादियों को जम्मू एवं कश्मीर के रास्ते भारत में घुसपैठ कराता है. जिसमें आतंकवादियों में कुछ फिदायीन हमलावर भी हैं. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की देख-रेख में नेंगरू ने पिछले महीने हथियार गिराने के सनसनीखेज मामले की साजिश रची, जिसके तहत सीमा पार से घातक हथियारों की तस्करी कर भारत लाने के लिए ड्रोन्स इस्तेमाल किए गए.
खुफिया एजेंसियों द्वारा नेंगरू पर बनाए गए डोजियर के अनुसार, कभी भारतीय सेना का मुखबिर रहे नेंगरू ने मुठभेड़ों में मारे गए कई खूंखार आतंकवादियों के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं दी थी. एक चालक के तौर पर पुलवामा के काकापोरा क्षेत्र (श्रीनगर से 12 किलोमीटर दूर) में रहने वाले नेंगरू ने अलगाववादी नेताओं और भारत-विरोधी लोगों के बीच मजबूत नेटवर्क स्थापित किया था. इस नेटवर्क के कारण नेंगरू को श्रीनगर में और उसके आस-पास आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों की अंदरूनी जानकारी रहती थी.
डोजियर में खुलासा हुआ है कि आशिक अहमद नेंगरू का भाई मोहम्मद अब्बास जैश का आतंकवादी था और कुछ सालों पहले पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. उसका एक अन्य भाई रियाज भी जैश में शामिल हो गया और पिछले साल सितंबर में तीन आतंकवादियों को जम्मू से श्रीनगर ले जाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.