नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में पांच भाषाओं को अधिकारिक भाषा का दर्जा श्रीनगर केंद्र सरकार द्वारा दे दिया गया है. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य में 131 सालों बाद उर्दू का एकछत्र राज खत्म हो गया. अब जम्मू-कश्मीर में उर्दू, अंग्रेजी, हिंदी, कश्मीरी और डोगरी भाषा को अधिकारिक भाषा का दर्जा मिल गया है.
इतिहास के पन्नों में में डोगरा के महाराजा प्रताप सिंह का जिक्र आता है. जिन्होंने अपने रहते हुए जम्मू-कश्मीर में उर्दू को अधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था.
स्थानीय लोगों को थी आशंका
इस बदलाव की शुरूआत होने की कल्पना स्थानीय लोगों ने तभी से कर ली थी जब बीते साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को पुनर्गठित किया था. इसके बाद से ही अंदाजा लगाया जाने लगा था कि उर्दू का अधिकारिक भाषा के तौर पर वर्चस्व खत्म होने वाला है.
इस बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने कहा कि ये फैसला स्थानीय लोगों की मांग पर लिया गया है.