नई दिल्ली: जम्मू- कश्मीर मामले से पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अगल थलग करने की कूटनीतिक सफलता के बाद अब वहां नया राजनीतिक महौल बनाने की कवायद चल रही है. सरकार के कूटनीतिकार इस कोशिश में हैं कि नई राजनीतिक पौध कश्मीर की स्वायत्ता और आजादी जैसे मुद्दे को पीछे छोड़ जम्मू-कश्मीर को वापस राज्य का दर्जा दिलाने व कश्मीरी पहचान को बरकरार रखने जैसा नया नैरेटिव शुरू करे.
सरकार की कोशिश है कि वहां पंचायत और सिविल सोसायटी से नया राजनीतिक नेतृत्व नए राजनीतिक नैरेटिव के साथ सामने आए. कूटनीतिकारों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्ज वापस दिलाने और कश्मीरियत बरकरार रखने जैसे मुद्दे लेकर राजनीतिक दल जनता के बीच जा सकते हैं.
कूटनीतिकारों के पास मौजूद खुफिया विश्लेषण के मुताबिक कश्मीर के मूल निवासी अब पाकिस्तान से किसी मदद की उम्मीद नहीं कर रहे. वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की राजनीतिक और आर्थिक हालात के मद्देनजर ज्यादातर कश्मीरी अपनी लड़ाई खुद लडने के पक्ष में हैं. इन हालात में पाकिस्तान से शह पर काम करने वाले कश्मीरी अलगावादियों की दुकान भी बंद होती दिख रही है.
सूत्रों के मुताबिक अब पाकिस्तान के पास घाटी में आतंकवाद के अलावा कोई राजनीतिक हथियार नहीं बचा है. घाटी में मौजूद करीब 250 पाक आतंकी जल्द ही सैन्य बल की कार्रवाई का शिकार होंगे. पाक घुसपैठ के लिए लगातार सीजफायर उल्लंघन कर फायरिंग कर रहा है. इधर सीमा पर घुसपैठ रोकने के लिए पहले से ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है.