रांची:- राज्यभर के झारखंड आन्दोलनकारी आज वनभोज-सह-सम्मेलन के बहाने आज रातू किला मैदान में जुटे और अपने अधिकार व सम्मान के लिए आवाज बुलंद किया. झारखंड आन्दोलनकारी मोर्चा के बैनर तले जुटे लगभग 500 आंदोलनकारियों ने विगत बीस वर्ष में झारखंड संघर्ष के सेनानियों तथा शहीदों के परिजनों की उपेक्षा पर क्षोभ जताया. मांग की गई कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों की सुध लेने की पहल करें और 26 जनवरी को आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जाए.
एक दिवसीय सम्मेलन सह वनभोज में आंदोलनकारियों को सम्मान एवं पेंशन देने की मांग की गई और पूरे राज्य में आंदोलनकारियों को एकजुट करने का निर्णय लिया गया. साथ ही झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितिकरण आयोग के पुनर्गठन की मांग उठाई गई. सम्मेलन में कई अन्य प्रस्ताव पारित किए गए.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए आंदोलनकारी नेता व आजसू के पूर्व अध्यक्ष विमल कच्छप ने कहा कि आंदोलनकारियों ने अलग राज्य की लड़ाई लड़ी और अब उन्हें अलग राज्य में पुनः संघर्ष करना पड़ रहा है.
सम्मेलन की अध्यक्षता करते झामुमो नेता व मोर्चा संयोजक मुमताज खान ने कहा कि आंदोलनकारियों ने पुनः संघर्ष का रास्ता अख्तियार कर लिया है.
झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक आंदोलनकारी के पुत्र हैं और आशा है कि वह आंदोलनकारियों का दर्द समझेंगे. हजारों आंदोलनकारी अब तक चिन्हित नहीं हो पाए हैं.
शफीक आलम ने कहा कि उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के चिन्हितिकरण एवं उन्हें सम्मान तथा पेंशन देने का काम तेज हो.
आंदोलनकारी आयोग के पूर्व सदस्य सुनील फकीरा ने कहा कि आयोग को ज्यादा सक्रिय किया जाना चाहिए और नियमावली बदली जाए.
सम्मेलन में पद्मश्री मधु मंसूरी ने क्रांतिकारी गीत सुनाए.
सम्मेलन को सोनेलाल हेम्ब्रम, हरिमोहन महतो, वीरेंद्र भगत, बाबूलाल मुर्मू, सुशीला एक्का, उमेश यादव, दीपक महतो, शाहिद हसन, धनेश्वर ओहदार, रामशरण विश्वकर्मा, बिरसा तिग्गा, पीयूष तिर्की, आजम अंसारी, शिवशंकर महतो, प्रदीप देव, दानिएल, महावीर विश्वकर्मा, सुनीता सांगा, रामनन्दन महतो आदि ने संबोधित किया.
सम्मेलन में प्रस्ताव पारित कर मांग की गई किझारखंड के शहीदों व आंदोलनकारियों के नाम पर शिक्षण संस्थानों, सड़कों, चौराहों का नामकरण हो, आंदोलनकारियों को बीस हजार रुपए पेंशन मिले, पाठ्यक्रम में झारखंड आंदोलन तथा यहां के शहीदों व आंदोलनकारियों की गाथा शामिल हो, आंदोलनकारियों को पहचानपत्र दिया जाए व जिलों में सरकारी कार्यक्रमों में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाए, स्थानीय नीति रद्द की जाए, विभिन्न सेवा में आंदोलनकारियों या उनके आश्रितों को आरक्षण मिले.