एक विधायक का निधन और हेमंत सोरेन ने दो सीटों पर जीत के बाद छोड़ी है एक सीट
दोनों सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशियों को सीट बचाने की चुनौती
रांची: झारखंड में दो सीटों पर उपचुनाव के लिए तारीखों की घोषणा आज हो सकती है. चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव की तारीखों के ऐलान के समय झारखंड में उपचुनाव का ऐलान नहीं किया था. तब चुनाव आयोग ने कहा था कि उपचुनावों को लेकर 29 सितंबर की मीटिंग में फैसला लिया जाएगा. रिव्यू मीटिंग के बाद ही दुमका और बेरमो विधानसभा उपचुनाव की घोषणा की बात कही गई है.
बेरमो से कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारेगी तो दुमका से झामुमो का उम्मीदवार होगा. भाजपा इन दोनों सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी, जिसे आजसू का समर्थन प्राप्त होगा. राष्ट्रीय नेताओं से उपचुनाव पर विमर्श करने के बाद लौट आए भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी कल से दुमका के दौरे पर रहेंगे.
बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने के बाद यह पहला चुनाव
राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के भाजपा में वापसी और दीपक प्रकाश के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला चुनाव (उपचुनाव) होने जा रहा है. इसलिए पार्टी के भीतर भी इस बात को लेकर काफी उत्साह है कि वह बाबूलाल मरांडी का दोनों ही विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर पाएगी. इसके सकारात्मक परिणाम पार्टी को बड़ी ऊर्जा दे सकता है. कहने का तात्पर्य है कि दोनों ही उपचुनाव के परिणाम झारखंड के भविष्य की राजनीति की दिशा का संकेत माना जा सकता है.
क्यों हो रहा है उपचुनाव
झारखंड के दुमका और बेरमो विधानसभा सीट पर साल 2019 में हुए चुनाव में महा गठबंधन के प्रत्याशियों की जीत हुई थी. दुमका सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार हेमंत सोरेन की जीत हुई थी जबकि बेरमो विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह विजयी हुए थे. हेमंत सोरेन ने दुमका के साथ बरहेट सीट से भी चुनाव लड़ा था. दोनों ही सीटों से उनकी जीत हुई थी. इसके बाद हेमंत ने दुमका सीट छोड़ दी थी. वहीं कांग्रेस के राजेंद्र सिंह की असमय निधन के बाद सीट खाली हो गई है. इसलिए दुमका और बेरमो सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं.
गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर
उपचुनाव में भाजपा के खोने को कुछ नहीं है जबकि महा गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर है. 2019 में दोनों सीट पर भाजपा की हार हुई थी जबकि गठबंधन के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी. 2019 विधानसभा चुनाव में एनडीए के टूटने की वजह से बीजेपी और आजसू ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, जेवीएम ने भी अपना प्रत्याशी दिया था. लेकिन अब आजसू एनडीए में शामिल है जबकि जेवीएम का भाजपा में विलय हो चुका है.
बेरमो विधानसभा चुनाव 2019 पर एक नजर
• विजयी कांग्रेस राजेंद्र प्रसाद सिंह- 88,945
• दूसरे नंबर पर बीजेपी से योगेश्वर महतो- 63,773
दुमका विधानसभा चुनाव 2019 पर एक नजर
• विजयी झामुमो हेमंत सोरेन- 81,007
• दूसरे नंबर पर बीजेपी की लुइस मरांडी- 67,819
राजेंद्र सिंह के दोनों पुत्र कांग्रेस में सक्रिय
राजेंद्र प्रसाद सिंह के दोनों पुत्र लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं. दोनों ही पुत्र अपने पिता के साथ बेरमो विधानसभा क्षेत्र में लगातार लोगों के बीच रहकर काम करते आए हैं. राजेंद्र सिंह के बड़े पुत्र प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में इंटक की राष्ट्रीय कमेटी से भी जुड़े हुए हैं. उन्हें क्षेत्र की अच्छी समझ भी है. उनके छोटे भाई कुमार गौरव वर्तमान में प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और वह भी क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं. ऐसे में पार्टी की नजर में कहीं ना कहीं दोनों भाइयों की अहमियत समान है. यही पार्टी के लिए मुश्किल वाली बात है. अगर पार्टी ने राजेंद्र सिंह के परिवार को ही टिकट देने का फैसला किया, तो पार्टी को दोनों में से एक का चुनाव करना होगा. जाहिर तौर पर पार्टी के लिए यह बड़ा धर्म संकट का मामला है.
आजसू को विश्वास में लेकर भाजपा को तय करना होगा प्रत्याशी
जहां तक भाजपा की बात है पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और आजसू पार्टी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. तब बेरमो से भाजपा ने अपना अलग उम्मीदवार दिया था. भाजपा के लिए पहला बड़ा संकट यह है कि उपचुनाव में उसे अपने सहयोगी आजसू पार्टी को विश्वास में लेना होगा, ताकि भाजपा ही बेरमो से अपना उम्मीदवार खड़ा कर सके. अगर भाजपा ऐसा नहीं करती है, तो आजसू पार्टी का उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में आ सकता है. आजसू पार्टी से समर्थन के बाद भी भाजपा के लिए उम्मीदवार का चयन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि जो सूचना मिल रही है, उसमें पूर्व के उम्मीदवार को बदले जाने का संकेत है.