रांची: झारखंड सरकार सरकार का वित्तीय वर्ष 2019-20 में वार्षिक बजट 85429 करोड़ रुपये का है, लेकिन चालू वित्तीय वर्ष के जनवरी महीने तक महालेखाकार के मासिक लेखा (सिविल एकाउण्ट) के अनुसार राजस्व प्राप्ति मात्र 48311.21 करोड़ ही है.
विधानसभा के बजट सत्र में आजसू पार्टी विधायक डॉ. लंबोदर महतो के एक अल्पसूचित प्रश्न पर सरकार की ओर लिखित उत्तर में यह जानकारी दी गयी कि राजस्व की वसूली में कमी के मुख्य कारणों में केंद्र सरकार से जीएसटी क्षतिपूर्ति कम प्राप्त होना, महिलाओं को संपत्ति के निबंधन में छूट, कोयला कंपनियों के उत्पादन में कई कारणों से कमी होना, कोल ब्लॉक का ससमय संचालन नहीं होने, विभिन्न न्यायालयों के लंबित-स्थगन के मामले के कारण राजस्व की वसूली अवरूद्ध हुई है.
योजना एवं वित्त विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि कोल एवं अन्य खनिजों के रॉयल्टी की दर में पांच प्रतिशत की वृद्धि करने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है. इसके अलावा सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल एवं अन्य पर सीबी एक्ट एवं कॉमन काउज के तहत 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक बकाया राशि वसूलने के लिए सरकार कारगर कदम उठाएगी.
इसके अलावा औद्योगिक घरानों के पास जल कर (वाटर टैक्स)का लगभग नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया राशि को वसूलने के लिए सरकार सार्थक कदम उठाएगी। इसके अलावा वर्त्तमान कर प्रणाली की व्यापक समीक्षा की जाएगी एवं उसमें सुधार कर राजस्व वसूली बढ़ोत्तरी की जाएगी.
साथ ही राजस्व संग्रहण विभाग की इंफोर्समेंट एक्टिविटी को सुदृढ़ करने के लिए पर्याप्त मानव एवं अन्य संसाधन उपलब्ध कराकर राजस्व संग्रहण को बढ़ाया जाएगा. वहीं कर प्रशासन की कार्य कुशलता को भी बढ़ाकर राजस्व संग्रहण में वृद्धि की जाएगी. अन्य राज्यों की कर प्रणाली का अध्ययन कर सभी तरह के कर दरों की समीक्षा कर उसे रेशनलाइज किया जाएगा.
सरकार मौजूदा कार्यरत योजनाओं की समीक्षा करेगी और जो भी योजनाएं अनुपयोगी पायी जाएगी,उसे बंद करने पर भी विचार किया जाएगा. साथ ही जिसके पास भी सरकारी बकाया है,उसकी प्राप्ति के लिए सरकार सभी नियमसंगत कदम उठाएगी.