ब्यूरो चीफ,
रांची : झारखंड समेत देश भर में 1 सितंबर से नया व्हीकल मोटर (एमेंडमेंट एक्ट) 2019 लागू है. एक सप्ताह में इसे लागू करनेवालों से लेकर आम जनता नये नियमों के जाल में उलझती जा रही है. चाहे दोपहिया वाहन मालिक हों, स्कूटी वाले हों अथवा कार-जीप वाले. बड़े वाहन मालिक तक नये ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन से कट रहे जुर्माने की राशि से परेशानी में पड़ गये हैं. राजधानी रांची की ही बात करें, तो यहां आम लोगों को कई तरह की परेशानी हो रही है. बाइक, मोटरसाइकिल, कार और स्कूटी का पोल्यूशन सर्टिफिकेट लेने के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. जिला परिवहन कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस लेने और रीनिवल कराने में पसीने छूट रहे हैं. वाहनों का बीमा कराना भी अब बोझिल साबित हो रहा है. सरकारी नियम के अनुसार किसी भी वाहन में अब सारे दस्तावेज होना जरूरी है. यदि पकड़े गये, तो एक भी कागज नहीं होने पर जुर्माना कटना तय है.
आइये हम राज्य की कुछ सच्चाईयों से आपको अवगत करायें-
केस संख्या-1
- राज्य भर में बड़े वाहनों का सिर्फ एक ही फिटनेस केंद्र, वैसे सभी जिलों में एमवीआइ दे रहे ऑनलाइन फिटनेस-
राज्य सरकार के ही आंकड़ों पर विश्वास करें, तो राजधानी रांची के ओरमांझी में ऑटोमेटेड इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेट सेंटर है. टीयूवी एसयूडी साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से यहां पर बड़े वाहनों की फिटनेस दी जाती है. राज्य के 24 जिलों में 160 नजी प्रदूषण जांच केंद्र स्थापित किये गये हैं. यहां पर परिवहन विभाग के तय शुल्क के आधार पर सर्टिफिकेट दिये जाते हैं. रांची के इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप पर प्रदूषण जांच केंद्र बनाये जाने के निर्देश दिये गये थे. ये कुछ ही पंपों पर उपलब्ध हैं. यहां पर सुबह 5 बजे से ही लंबी कतार लग रही है. जो रात 9 बजे तक अनवरत जारी रह रही है.
केस संख्या-2
- सभी जिलों के डीटीओ आंकड़े बताने से कर रहे मना-
पहली सितंबर के बाद ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के कितने आवेदन आये. इसमें कितने नवीकरण (रीनिवल) के आवेदन थे. इसकी जानकारी कोई जिला परिवहन पदाधिकारी नहीं दे रहे हैं. उनका कहना है कि परिवहन विभाग के मुख्यालय से इसकी जानकारी मिलेगी. सरकार का कहना है कि वाहन-4 और सारथी-4 साफ्टवेयर के माध्यम से वाहनों का निबंधन और ड्राइविंग लाइसेंस ऑनलाइन दिया जाता है. इसके लिए आम लोगों को जिला परिवहन कार्यालय में आने की आवश्यकता नहीं है, पर बगैर टेस्टिंग और गाड़ियों को चलाते हुए फिजिकली नहीं देखे जाने पर डीएल का प्रारंभिक और स्थायी प्रमाण पत्र मिलता ही नहीं है. सरकार कहती है कि वाहन कर, शुल्क, ई-पेमेंट से होता है. इसके आंकड़े भी नहीं दिये जाते हैं.
केस संख्या-3
- नहीं जलते हैं ट्रैफिक लाइट-
राज्य भर में राजधानी, बोकारो, धनबाद और जमशेदपुर को छोड़ अन्य जगहों पर ट्रैफिक लाइट नहीं हैं. यातायात की सुगमता के लिए ये लाइट लगाये गये हैं. रांची में ही 30 से अधिक जगहों पर इसे लगाया गया है. पर राजभवन, एसएसपी कार्यालय, सुजाता चौक और एकाध जगह छोड़ कर कहीं यह काम ही नहीं करता है. ट्रैफिक पुलिस अपने हिसाब से यातायात संचालित करते हैं. 50 प्रतिशत चौराहों पर सिर्फ येलो लाइट ही जलती है. इससे हमेशा वाहन चालक सशंकित रहते हैं.
केस संख्या-4
- राज्य भर में छोटे और बड़े वाहनों की संख्या 15 लाख से अधिक-
राज्य भर में 8 लाख से अधिक छोटे बड़े वाहन हैं, जिसमें तिपहिया वाहनों की संख्या 2.50 लाख से अधिक है. ट्रक, मिनी ट्रकों की संख्या 2 लाख से अधिक है. बस और मिनी बस 20 हजार से अधिक हैं. एक लाख टैक्सी हैं. एक लाख ट्रेलर हैं. 1.25 लाख ट्रैक्टर हैं. दोपहिया वाहनों की संख्या 10 लाख से अधिक है. इसे नियंत्रित करने में यातायात कर्मियों को भी प्रोपर प्रशिक्षण नहीं दिया गया है.