रांची: गुजरात के राठवा जनजाति से ताल्लुक रखने वाले राठवा हरिभाई को यहां झारखंड की आबोहवा भा गई है. प्रकृति की गोद में अवस्थित नेतरहाट में आदिवासी और लोक चित्रकारों के प्रथम राष्ट्रीय शिविर में राठवा हरि भाई गुजरात की पिथौरा चित्रकला को बना रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पिथौरा चित्रों से आदिवासियों के जीवन कला के हर पहलू को बखूबी से दिखाया जाता है. बचपन से अपने पिता व दादाजी को पिथौरा चित्र बनाते देखा था. उनके चित्रकारी से प्रभावित होकर उन्हें इस चित्र को बनाने की प्रेरणा मिली. उन्होंने बताया कि दम तोड़ती आदिवासियों की इस कला को उनके परिवार ने आज भी सहेज कर रखा है.
राठवा हरीभाई ने कहा कि यह चित्रकला मध्य गुजरात में रहने वाले राठवा, भील तथा विनायक जनजाति के लोगों द्वारा दीवारों पर बनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि यह शांति और खुशहाली का प्रतीक है. इन चित्रों में रोजमर्रा के जीवन, पशु- पक्षी, पेड़ और त्योहार के प्रसंग अंकित किए जाते हैं. इसमें चित्र के बीच में एक छोटा आयाताकार जानवर बनाया जाता है जिसमें उंगलियों से छोटी छोटी बिंदी लगाई जाती है.
इनके लिए पिथौरा बाबा अति विशिष्ट व पूजनीय होते हैं. जो अपने घर में अधिकाधिक पिथौरा चित्र रखते हैं. वे समाज में अति सम्मानीय माने जाते हैं. सर्वोच्च पद पर आसीन जो पुजारी धार्मिक अनुष्ठान करवाता है उसे बड़वा कहा जाता है. इस चित्र के रंगों को बनाने के लिए रंगीन पाउडर में दूध व महुआ का प्रयोग किया जाता है. चित्र बनाने के लिए मुख्यतः पीले, नारंगी, हरे, नीले, सिंदूरी, लाल, आसमानी, काले व चांदनी रंगों का प्रयोग किया जाता है. ब्रश बनाने के लिए बेंत या पेड़ों की टहनियों के किनारों को कुटा जाता है.
इस शिविर के बारे में उन्होंने बताया कि इस तरीके के शिविर हम सभी लोक एवं आदिवासी चित्रकारों को एक दूसरे से मिलने तथा सीखने का अवसर देता है. मैं झारखंड सरकार का आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने हमें इस शिविर में आने का मौका दिया. प्राकृतिक सुंदरता के बीच चित्रकारी करने में हमें और भी ज्यादा अच्छा लग रहा है.
राष्ट्रगान से हुई आज चौथे दिन की शुरुआत
आदिवासी एवं लोक चित्रकारों के प्रथम राष्ट्रीय शिविर के आज चौथे दिन डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण अनुसंधान केंद्र के उपनिदेशक चिंटू दोराइ बुरु की अगवाई में सभी चित्रकारों ने राष्ट्रगान गाकर दिन की शुरुआत की. उपनिदेशक ने बताया कि चित्रकारों को नेतरहाट की प्राकृतिक खूबसूरती को दिखाने के लिए भी व्यवस्था की गई है, ताकि देशभर से आए चित्रकार नेतरहाट की सुंदरता से मुखातिब हो सके.