रांची: देश की अखंडता और एकता की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर देने वाले शहीदों को नमन करते हुए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड युद्ध स्मारक के विशाल ध्वजारोहण समारोह अपनी बातें शुरू की. उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्वाधीन राष्ट्र का अपना एक झंडा होता है. यह एक स्वाधीन देश होने का संकेत है. भारतीय राष्ट्रीय झंडा की परिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी. इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई, 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वाधीनता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी.
उन्होंने कहा कि हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. यहां अनेक विषमताएं है, विविध संस्कृति के लोग रहते हैं, फिर भी हम एक हैं, यह हमारे संविधान, हमारे राष्ट्रीय ध्वज और हमारे देश की ताकत है. राष्टीय ध्वज हमारे देश का सम्मान एवं गौरव का प्रतीक है. इसके सम्मान की रक्षा हेतु असंख्य देशवासियों ने अपने प्राणों की आहूति दी. प्रसन्नता कि झारखंड युद्ध स्मारक में 108 फीट की ऊंचाई पर 30 गुणा 45 का तिरंगा झंडा लहरायेगा.
राज्यपाल ने कहा कि हम सभी अपनी स्वतंत्रता का जश्नम मनाने के साथ अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का पालन भी अवश्य करें, ताकि हमारा देश सच्चे अर्थों में उन अमर बलिदानियों के सपनों के अनुरूप बन सकें. सेना अपने दायित्वों का पालन बखूबी कर रही है. हम सभी को उनके शौर्य एवं पराक्रम पर नाज है. देश के नागरिकों को भी मजबूती से देश के साथ खडे़ रहने की आवश्यकता है, यही राष्ट्रभक्ति है. इसके लिए सभी को सीमा पर दुश्मन से लड़ने की आवश्यकता नहीं है. आप जहां पर है, अपने कार्य को पूरी निष्ठा एवं इमानदारी के साथ करें.
झारखंड वार मेमोरियल राज्य के उन सभी वीर सपूतों को समर्पित है जिन्होंने देश की रक्षा में अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया. उनके सम्मान में आज जो विशाल ध्वज स्थापित किया गया है. इसके लिए मैं फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष नवीन जिंदल एवं मेजर जनरल संजय पुरी को शुभकानाएं देती हूं.
उन्होंने कहा कि हमारे राज्य के युवाओं एवं किशोरों में सैन्य सेवा एवं पुलिस सेवा में जाने हेतु बहुत उत्साह देखा जाता है. वे इस सेवा में जाने हेतु अथक मेहनत करते हैं, लेकिन कभी-कभी उन्हें उचित मार्गदर्शन के अभाव में सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है. वे सफलता अर्जित करने से वंचित रह जाते हैं. इस परिप्रेक्ष्य में झारखंड वार मेमोरियल उनके लिए सैन्य सेवा में जाने हेतु प्रेरणादायक सिद्ध होगा.