जमशेदपुर: भारत सरकार के प्रधानमंत्री एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) ने कई उद्धमशील लोगों के लिए रोजगार की शुरुआत की. इसी के तहत जमशेदपुर के जसविंदर सिंह ने भी उसमें भागीदारी निभाते हुए काम शुरू किया. उन्होंने ‘फ्यूजन मोक्ष’ नाम से हर्बल उत्पाद की शुरुआत की, जिसमें उन्हें सरकार की मदद मिल रही है.
आज वे 60 प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं, जिसमें हर्बल शॉप, शैंपू, बॉडी वॉश, फेस वॉश, फेस पैक आदि हैं. इन उत्पादों का राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी वे निर्यात कर रहे हैं. अब तक यूएस, ब्राजील आदि देशों में वे इसे भेज चुके हैं. कनाडा स्विट्जरलैंड से भी उन्हें आर्डर मिले हैं. पुणे में उनके सहयोगी चंदन मिश्र उनका इंटरनेशनल बिजनेस मॉनिटरिंग करते हैं. अपने प्रोडक्ट को अब वे इंटरनेशनल ब्रांड बनाने में लगे हैं.
इस कार्य में उनकी पत्नी रविंद्र सिंह भी सहयोग कर रही है. साथ ही साथ महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देते हुए जसविंदर सिंह ने 9 महिलाओं को रोजगार भी दिया है. जिसमें 6 महिलाएं प्रोडक्शन से जुड़ी हैं और 3 महिलाएं बिजनेस को बढ़ाने में लगी हुई हैं. खादी द्वारा देवघर में आयोजित 15 दिवस के मेले में फ्यूजन मोक्ष को प्रथम पुरस्कार भी मिला है.
जसविंदर सिंह कहते हैं कि जब तक हम राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना उत्पादन नहीं बढ़ाएंगे, तब तक हम लोग चीन को मात नहीं दे पाएंगे. इसलिए हम लोग इस कार्य में लगे हैं कि अपने उत्पादन को बढ़ाते हुए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम सब काम करें. केंद्र सरकार ने जब 20 लाख करोड़ रुपए बीमार उद्योग को खड़ा करने के लिए सहयोग किए हैं, तो हमारा देश जरूर आत्मनिर्भर बनेगा.
जसविंदर सिंह की पत्नी रविंद्र सिंह बताती हैं कि प्रोडक्ट बनाने से लेकर पैकेजिंग का पूरा कार्य वे लोग देखते हैं. इसके लिए उन्होंने दिल्ली और कोलकाता में साबुन बनाने का प्रशिक्षण लिया और जमशेदपुर में बिजनेस आगे बढ़ाने की ट्रेनिंग ली. उन्होंने बताया कि फल-फूल और पत्तियों का उपयोग कई तरह से वे लोग अपने प्रोडक्ट में करते हैं. अभी उन्होंने रांची रामगढ़ जबलपुर पुणे आदि स्थानों पर अपने ब्रांच खोले हैं. जल्द ही भारत के विभिन्न प्रमुख शहरों में 20 काउंटर और खोलेंगे. लॉक डाउन का सदुपयोग उन्होंने इस पर रिसर्च करने में किया.
“फ्यूजन मोक्ष” की कर्मचारी जयश्री दत्ता बताती है कि वह इनके साथ लगभग डेढ़ साल से जुड़ी है. उन्होंने यह हर्बल प्रोडक्ट बनाना सीखा और अब अच्छी तरह से बना रही हैं. उनका कहना है कि जितनी युवा महिलाएं हैं, वो अपने काम के जज्बे को लेकर चलें और सब के साथ मिलकर काम करें, तो हमारा देश जरूर आगे बढ़ेगा.
आरएसइटीआई के फैकल्टी राजय प्रसाद के अनुसार वे लोग ट्रेनिंग में बताते हैं कि बिजनेस को कैसे चलाना है. समय का प्रबंधन कैसे करना है. मार्केटिंग कैसे करनी है. सर्वे कैसे किया जाता है और फिर उन्हें बैंकों से ऋण भी वो लोग दिलाते हैं.
कुल मिलाकर जसविंदर सिंह ने एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया कि जहां वे विशुद्ध रूप से प्रकृति से ली गई वस्तुओं का प्रयोग कर रहे हैं. केमिकल का प्रयोग नहीं कर रहे हैं. इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और आत्मनिर्भर भारत बनाने में इनका योगदान महत्वपूर्ण है.