रांची: झारखंड में तैनात सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के साथ दो इनामी उग्रवादी नक्सली अभियान में देखे गए थे. इन दोनों उग्रवादियों की तस्वीर जिस समय की है उसी समय पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र में बकोरिया में फर्जी नक्सली मुठभेड़ हुई थी. 8 जून 2015 को हुई इस मुठभेड़ में एक एमसीसीआई के नक्सली सहित 12 ग्रामीण मारे गए थे जिसमें 5 बच्चे भी थे. इस मुठभेड़ का दावा पुलिस ने किया था. हालांकि उसी समय इस बात की चर्चा हो गई थी कि मुठभेड़ में पुलिस नहीं नक्सलियों का हाथ है. अब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है. धीरे-धीरे कई तथ्य सामने आ रहे हैं.
जांच एजेंसी को मिली है चौंकाने वाली तस्वीर
जांच एजेंसी को चौकाने वाली तस्वीर मिली है. इस तस्वीर में उग्रवादी जनमुक्ति मोर्चा का इनामी नक्सली और सुप्रीमो पप्पू लोहरा और सब जोनल कमांडर सुनील उरांव है. दोनों सीआरपीएफ की वर्दी में है और किसी नक्सली अभियान में शामिल है. जेजेएमपी नामक उग्रवादी संगठन को खड़ा करने में कुछ पुलिस अधिकारियों का हाथ है. अब झारखंड पुलिस इस संगठन के खिलाफ भले ही कार्रवाई कर रही है लेकिन एक समय पुलिस के कुछ अधिकारियों ने जेजेएमपी से जुड़े उग्रवादियों का भरपूर उपयोग नक्सलियों के खिलाफ किया था.
लातेहार के कोरगांव का रहने वाला पप्पू लोहरा इस संगठन का सुप्रीमो है जो रायफल के साथ दिख रहा है इस पर ₹1000000 का इनाम है वहीं दूसरा उग्रवादी सुशील उरांव मनिका का रहने वाला है. उस पर सरकार ने पहले ही ₹500000 का इनाम घोषित कर रखा है. इसी संगठन के 18 से 20 उग्रवादियों ने बकोरिया कांड को अंजाम दिया था.
झारखंड पुलिस के कुछ अधिकारी जेजेएमपी के हर सदस्य को जानते हैं. यह अधिकारी अब रिटायर हो गए हैं. जेजेएमपी अब वही काम करती है जो माओवादी करते हैं. लेवी वसूलना, ग्रामीणों को पीटना और दहशत पैदा करना यह संगठन का काम रह गया है. इस कारण यह पुलिस के लिए परेशानी का सबब भी बन गया है .