रांची: लॉकडाउन के दौरान किसानों की उपज को बाजार एवं खुदरा एवं थोक विक्रेता समेत आम लोगों तक जरुरी ताजी सब्जियाँ एवं फल मिल सके ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत जोहार परियोजना के जरिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है. राज्य में गठित 3244 उत्पादक समूहों के अंतर्गत हजारों किसानों को कृषि संबंधी कार्य एवं बाजार उपलब्ध करने में सहयोग किया जा रहे है ताकि लॉकडाउन में किसानों की आय सुनिश्चित हो सके एवं मौसमी उत्पादों को बाजार से जोड़ा जा सके.
वैश्विक महामारी covid-19 के कारण लगे लॉक डाउन और बाजार बंद होने के वजह से किसानों को अपने उपज की बिक्री की चिंता वहीं शहरी इलाकों में सब्जियों की कमी को लेकर दिक्कत हो रही थी. जोहार परियोजना ने बड़े सब्जी विक्रेताओं से सीधा संपर्क कर और जिला प्रशासन से विशेष अनुमति लेकर 335 उत्पादक समूहों से जुड़े किसानों के उपज को सीधा बाजार से जोड़ने का कार्य किया, इस पहल से किसानों को उत्पादों की अच्छी कीमत मिल सकी. विभिन्न जिलों के 9 उत्पादक कम्पनियों के जरिए अबतक 750 मीट्रिक टन सब्जियों एवं फलों की बिक्री कर 73.5 लाख का कारोबार किया गया है. जिन किसानों की उपज खेतों मे ही बर्बाद हो सकती थी उन किसानों की उपज ना केवल घर बैठे बिक्री हो पाई है बल्कि किसानों को अच्छा मुनाफा भी हुआ है.
रामगढ़ के गोला प्रखण्ड में बरियातू उत्पादक समूह से जुड़ी नुनिबला देवी बताती है की, “उत्पादक समूह के माध्यम से 10 पैकेट तरबूज का बीज लगाए थे,अब तालाबंदी में बाजार तो बंद है और गाँव के व्यापारी 5-7 रू दाम लगता, लेकिन हम समूह की दीदियों ने राजरप्पा किसान उत्पादक कंपनी (RKPCL) द्वारा 8-10 रू मे अपने उपज को बेचे हैं जिसके लिए हमें कहीं जाने की जरूरत भी नहीं पड़ी”.
वहीं, रांची के सरहुल आजीविका किसान उत्पादक कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर शशी बाला बताती है कि “जोहार परियोजना से जुड़कर हम किसानों को बहुत फायदा है. आज हम इस उत्पादक कंपनी के जरिए हजारों किसानों को लाभ पहुंचा पा रहे है. लॉकडाउन के दौरान बंपर उत्पाद केला की बिक्री स्थानीय स्तर पर 3 रुपये किल हो पा रही थी वहीं हमें उत्पादक कंपनी के जरिए थोक में बाहर उत्पाद भेजा और हमें प्रति किलो 8 रुपये प्राप्त हुए. उत्पादक कंपनी से जुड़कर हमारी आय तो बढ़ रही है”.
जोहार परियोजना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बिपिन्न बिहारी बताते है कि लॉकडाउन के दौरान हमनेउत्पादक कंपनी के किसानों के उत्पादों के लिए झारखंड समेत अन्य राज्यों में भी बिहार ओडिसा एवं पश्चिम बंगाल में भी बाजार उपलब्ध कराये गए है. इस पहल की लोकप्रियता बढ़ी है हमें कई संस्थागत रिटेलर के कॉल आ रहे है , जिनके जरिए उत्पादक कंपनी को आने वाले दिनो में और अच्छी आय होगी.
ग्रामीण विकास विभाग के विशेष सचिव राजीव कुमार ने बताया कि जोहार परियोजना के अंतर्गत सब्जी एवं फल के लिए तो हम जोहर परियोजना एवं एनआरएलएम के जरिए बाजार उपलब्ध करा ही रहे है हम झारखंड केवैसे ग्रामीणजो मछली पालन, अंडा उत्पादन एवं वनोपज से जुड़े कार्य कर रहे है उनको भी बाजार उपलब्ध करा रहे है ताकि किसी को भी लॉकडाउन में उत्पादों के खराब होने से आर्थिक दिक्कत न झेलना पड़े.
विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित जोहार परियोजना का क्रियान्वयन ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के द्वारा राज्य में किया जा रहा है.
पूरी प्रक्रिया में सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य नियमों का किया जा रहा है पालन
गाँव में उत्पादक समूहों की महिला किसानों को इस महामारी से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी निर्देशों से अवगत कराया गया है. महिला किसान अपने खेतों में कृषि कार्य के दौरान मास्क का उपयोग एवं सोशल सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करती है. अपने उपज की तोड़ाई, वज़न करने से लेकर पैकिंग तक स्वच्छता का पूरा खयाल रखती है.