शशिभूषणदूबे कंचनीय,
लखनऊ: आगरा में पत्रकार परिवार क्लब सोसायटी द्वारा उन्नाव में हुई पत्रकार शुभम मणी त्रिपाठी की निर्मम हत्या और पत्रकार व पत्रकारों के परिवारीजनों के उत्पीड़न पर रोक लगाने एवं उनके भविष्य हेतु आवश्यक कदम उठाने के संदर्भ में सोमवार को जिला मुख्यालय आगरा पर प्रधानमंत्री के नाम आगरा के जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपा व शहीद स्मारक पर स्व शुभम मणी त्रिपाठी पत्रकार की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन धारण किया.
बता दे कि अब जनहित की पत्रकारिता करना पत्रकारों के लिए अत्यंत घातक साबित होता जा रहा हैं. जिससे पत्रकार समाज सरल, सुगम और सुरक्षित पत्रकारिता के माध्यम से देश सेवा करने में खुद को कहीं न कहीं कमजोर और अक्षम सा महसूस कर रहा हैं.
इतना ही नहीं जनहित की पत्रकारिता के लिये पत्रकार और उनके परिवारीजनों को अनेकों समस्याओं और तरह तरह के उत्पीड़नों का सामना करना पड़ रहा है. सुरक्षा के अभाव में पत्रकारों पर हमले और हत्यायें होना आम बात हो गई हैं.
जिसका एक ताजा उदाहरण उन्नाव में शुभम मणी त्रिपाठी की दिन दहाड़े निर्मम हत्या कर दी गई. बताया गया कि पत्रकार ने स्थानीय बाहुबलि के खिलाफ उसके कारनामो को उजागर किया था इसी बात से बौखलाए दबंगो ने पत्रकार की हत्या कर दी जिससे उत्तर प्रदेश के सभी पत्रकारो में भारी रोष व्याप्त है.
पत्रकार शुभम मणि त्रिपाठी की हत्यारो को गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा व मृतक पत्रकार के परिवारीजनों को सरकार द्वारा पचास लाख रु की आर्थिक मदद की मांग व पत्रकार की हत्या में शामिल लोगों के खिलाफ हत्या का मुकद्दमा दर्ज करने की मांग की है. व आगे भविष्य में पत्रकारों के खिलाफ लिखे झूठे मुकद्दमे में निष्पक्ष जांच करने की बात कही गई.
ज्ञापन के बाद सभी पत्रकारों ने संजय प्लेस स्थित शहीद स्मारक पर दो मिनट का मौन धारण कर मृतक आत्मा की शांति की ईश्वर से प्रार्थना की.
ज्ञात है कि इससे पूर्व में भी अनेकों पत्रकारों को पत्रकारिता के लिए कुर्बानी देनी पड़ी है इतना ही नहीं वैश्विक कोरोना महामारी के माहौल में हर स्थिति परिस्थिति से जूझते हुये कई पत्रकार कोरोना से संक्रमित भी हुये. पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर उन्हें व्यर्थ प्रताड़ित किया जाना आम बात हैं.
यही कारण हैं कि निष्पक्ष पत्रकारिता में पत्रकारों का उत्पीड़न बड़े स्तर पर बाधक बनता रहा हैं. जो अत्यंत सोचनीय ही नहीं अभिलम्ब सकारात्मक कदम उठाने को प्रेरित भी करता हैं! पत्रकारों पर होते हमले हत्या और उत्पीड़न सच्चाई का गला घौटने और लोक तन्त्र की हत्या समान हैं. पत्रकारों के साथ आये दिन होने बाली घटनायें और उनकी अनदेखी आमजन में सरकार की छवि को भी धूमिल करती हैं.
अधिकांश तौर पर लोग यह कहने को मजबूर हुये हैं कि जब दूसरों की आबाज उठाने बाले पत्रकार सुरक्षित नहीं तो आम जनता केसे हो सकती यह शब्द जितनी सरकार की शाख को दागदार करते हैं उससे ज्यादा पत्रकारों को कचोटते भी हैं. जिन पर गहन मंथन करके जरूरी निर्णय लेनें की अत्यंत आवश्यकता हैं.
ज्ञापन में सौरभ शर्मा ,अनिल शर्मा, राजेश तोमर,राकेश कुमार, मनोज पराशर, पूजा लवानिया, प्रिया मिश्रा, रामानंद तिवारी, आशिफ उर्फ बबलू, हिमांशु शर्मा, रवि बघेल, राहुल कुशवाहा, अमिताभ गुप्ता, अर्जुन सिंह, योगेंद्र ठाकुर,सुमित सिंघल, राजकुमार, सफीक खान, वीरेंद्र चोधरी, ताहिर मलिक, जेपी शर्मा, सुभाष ,पंकज वर्मा, लवी किशोर शर्मा, मुनीश अल्वी, अनीश सेफी, समीर, मोहमद हासिम, जाकिर, जितेंद्र केन, सद्दाम हुसैन, पंकज गुप्ता, अनमोल दीक्षित, शिवम अरेला, प्रिया मिश्रा, दयानंद त्रिपाठी, आसिफ खान, फिरोज खान, ज्ञाननेंद्र शर्मा, राकेश, ऋषि अग्रवाल, सोनू शर्मा आदि मौजूद रहे.