गीतेश अग्निहोत्री,
कानपुर: कानपुर के पनकी पंचमुखी हनुमान मंदिर के बड़े महंत बाबा रमाकांत दास का स्वर्गवास 9 मई को हो गया था. बड़े महंत मूलरूप से शिवली कोतवाली क्षेत्र के अनूपपुर गांव के रहने वाले थे.
इसी तरह से शोभन हनुमान मन्दिर के विरक्तानंद महाराज शोभन सरकार 13 मई को ब्रह्मलीन हो गए. शोभन सरकार व रमाकांत दास की भक्तों के बीच गहरी आस्था थी. इसी का नतीजा था कि प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग उनके दर्शन करने आते थे. पांच दिनों के अंतराल में क्षेत्र के दो बड़े संतों का स्वर्गवास होने से कानपुर ही नही पूरे देश में उनके भक्त स्तब्ध हैं.
पनकी मंदिर के बड़े महंत के शिष्य व महंत कृष्ण दास ने बताया कि कानपुर देहात के शिवली कोतवाली के अनूपपुर गांव के रामलाल के घर 1912 में रमाकांत शुक्ला ने जन्म लिया था. सन 1927 में 15 वर्ष की आयु में वह सांसारिक जीवन को त्याग पनकी मंदिर आ गए थे. महंत गंगा दास ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया. 1956 में महंत गंगा दास की मृत्यु के बाद रमाकांत दास पंचमुखी हनुमान गद्दी के महंत बन गए. कानपुर के आशीष मिश्र ने कहा कि पनकी मंदिर के बड़े महंत के न रहने से एक सूनापन आ गया है.
दूसरी तरफ कानपुर देहात के विख्यात शोभन हनुमान मंदिर के महंत विरक्तानंद नंद महाराज के न रहने से भक्तों में बहुत ही निराशा है. भक्तों को मंदिर में आशीर्वाद देने के साथ सामाजिक कार्यों से आम लोगों ने जुड़े रहने वाले शोभन सरकार की याद भक्तों के दिलों से नही जा रही है. ग्रामीण अन्नू बाजपेयी,राजकुमार मिश्र,मनीष सैनी,राहुल तिवारी,राजू शुक्ला ने कहा कि उन्होने भक्तों व आम लोगों के लिए शोभन सरकार ने अनेक कार्य किए. भक्त उनके संस्मरण सुनाते नहीं थक रहे हैं.