एमएसवी इंटरनेशनल – इसीएस इंजीनियरिंग कंस्लटेंसी सर्विसेज एवं एलएन मालविया इंफ्रा प्रोजेक्ट ने डाला टेंडर
जुडको कर रहा है दोनो निविदा का तकनीकी मूल्यांकन, इसके बाद किया जायेगा कार्य का आंवटन
रांची: राजधानी के महत्वपूर्ण एवं बहुप्रतिक्षित कांटाटोली फ्लाई ओवर के निर्माण कार्य में अब तेजी आयेगी. लाकडाउन के कारण कार्य में विलंब हुआ. कांटाटोली फ्लाई ओवर का निर्माण अब नये सिरे से होगा. फ्लाई ओवर कांटाटोली मार्ग पर योगदा सत्संग के सामने से शांतिनगर तक बनाया जायेगा. नये सिरे से फ्लाई ओवर निर्माण के लिए संशोधित डीपीआर बनाया जायेगा. इसके लिए विस्तृत कार्य प्रतिवेदन ( डीपीआर ) एवं परियोजना प्रबंधन परामर्शी ( पीएमसी ) बहाल करने के लिए निविदा निकाली गयी. लाकडाउन के कारण निविदा आमंत्रित करने में कुछ देरी हुई. बावजूद इसके दो नामी कंपनियों ने निविदा में हिस्सा लिया. निविदा की तकनीकी बीड खोली गयी. जिसमें हरियाणा की ज्वाइंट वेंचर की कंपनी एमएसवी इंटरनेशनल एवं इसीएस इंजीनियरिंग कंस्लटेंसी सर्विसेज तथा भोपाल की कंपनी एलएन मालविया इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने हिस्सा लिया ह.
नगर विकास सचिव विनय कुमार चैबे ने जुडको के परियोजना निदेशक तकनीकी रमेश कुमार को निविदा का शीघ्र निष्पादन कर डीपीआर बनाने का काम आवंटित करने का निर्देश दिया है. सचिव ने यह भी कहा है कि डीपीआर बनने के बाद फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य जल्द शुरू कराया जाये.
इस संबंध में जुडको परियोजना निदेशक तकनीकी रमेश कुमार के अनुसार दोनो कंपनियों के कागजात का तकनीकी मूल्यांकन कराया जा रहा है. जल्द ही वित्तीय बीड का भी मूल्यांकन करा कर निविदा में योग्य आने वाली को कार्य आवंटित कर दिया जायेगा. दो से तीन महीने का समय डीपीआर बनाने के लिए दिया जायेगा. डीपीआर बन जाने के बाद फ्लाई ओवर बनाने के लिए नये सिरे से संवेदक कंपनी का चयन करने के लिए निविदा निकाली जायेगी. फ्लाईओवर का निर्माण आधुनिक तकनीक सेगमेंटल बाक्स गरडर सिस्टम से कराया जायेगा. नयी तकनीकी के आधार पर संशोधित डिजाइन और डीपीआर भी बनेगा.
वर्तमान में कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण पीएससी.आइ गरडर प्रणाली से हो रहा था. पीएससी प्रणाली में गरडर को प्रीकास्ट कर क्रेन के सहयोग से खंभे पर रखा जाता है. अमूमन इस प्रणाली में रात में काम होता. डेक स्लैब की कास्टिंग कार्य स्थल पर ही होती है. यातायात भी प्रभावित होती रहती है. जबकि सेगमेंटल बाक्स प्रणाली में प्रस्तावित फ्लाईओवर के मध्य लाइन पर विशेष लांचर के जरिये छोटे प्रीकास्ट सेगमेंट कर आगे बढते जाया जाता है. इस आधुनिक प्रणाली का इस्तेमाल बड़े शहरों में हो रहा है. इस सिस्टम में काम तेज होता है. हालांकि यह कुछ महंगा पड़ता है. इस प्रणाली में यातायात बाधित नहीं होती है.
वर्तमान में कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण बहुबाजार की ओर वाईएमसीए से लेकर कोकर की ओर शांतिनगर तक हो रहा था. जिसकी लंबाई 1260 मीटर थी. अब तक 132 पाइल की कास्टिंग हो चुकी है. 19 खंभों में दो पाइल कैप और एक पीयर की कास्टिंग हो चुकी है. योगदा सत्संग से फ्लाईओवर का निर्माण कराये जाने से फ्लाईओवर की लंबाई लगभग 2300 मीटर हो जायेगी.