आज शहादत दिवस पर दर्द का आंसू बहाने को विवश हैं वृद्ध माता-पिता
चतरा:- मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले चतरा के लाल शहीद राजेश का परिवार आज भी सम्मान का बाट जोह रहा है. शहादत के करीब 18 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इन्हें न तो घोषणाओं के मुताबिक सम्मान मिला और न ही किसी रहनुमा की नजर इनकी ओर इनायत हुई. इतना ही नहीं बेटे की शहादत के बाद उनके असहाय बूढ़े माता-पिता के असहनीय दर्द पर भी किसी ने मरहम तक लगाने का प्रयास नहीं किया और न किसी को इन पर तरस आई. ऐसे में देश की रक्षा के खातिर अपने बेटे का बलिदान झेलने वाले माता-पिता आज बदहाली का जीवन जिने को विवश हैं. मातृभूमि की रक्षा में इतनी बड़ी शहादत के बावजूद शहीद के सम्मान में हो रही देरी से अब माता-पिता के दर्द न सिर्फ छलकने लगे हैं बल्कि उनका हिम्मत भी जवाब देने लगा है. उनका तंत्र और उनके रहनुमाओं से विश्वास टूटने लगा है. देश की सीमा पर शहीद होने वाले सैनिक के साथ हो रहे इस सौतेले बर्ताव से उनका परिवार सदमे के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में शहीदों के परिजनों को आर्थिक मदद और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के सरकार के दावे दम शहादत को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही है.
चतरा के सिमरिया प्रखंड अंतर्गत पुंडरा निवासी शहीद राजेश के परिजनों को 18 साल के बाद भी आर्थिक मदद व अन्य सुविधाएं नहीं मिली है. 20 दिसंबर 2002 को जम्मू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में आतंकवादियों से लोहा लेने के दौरान पुंडरा गांव निवासी शिवनारायण साव के बेटे राजेश साव वीरगति को प्राप्त हो गए थे. जिसके बाद शहीद को श्रद्धांजलि देने सरकार के कई मंत्री, विधायक और प्रशासनिक महकमा उनके पैतृक गांव पहुंचे थे. यहां परिजनों को ढाढ़स बंधाते हुए सहायता के लिए आश्वासनों की बाढ़ लगा दी थी. लेकिन सभी आश्वासन अबतक अधूरे के अधूरे पड़े हैं. राजेश साव के शहादत के बाद सरकार ने उनके माता-पिता को 22 लाख रुपये देने की घोषणा की थी. इतना ही नहीं सरकार की तरफ से पेट्रोल पंप, आश्रित को सैनिक में नौकरी और 5 एकड़ खेती योग्य जमीन देने का भी आश्वासन दिया गया था. बताते हैं कि शहीद के परिजनों को अबतक मात्र 93 हजार की ही सहायता राशी मुहैया करवाई जा सकी है. राजेश की शहादत के बाद जब उनके पार्थिव शरीर को गांव लाया गया था उस समय पूरा गांव भारत माता की जय और राजेश साव अमर रहे के नारों से गुंज उठा था. कई मंत्रियों, सांसद और अन्य वीआईपी ने शहीद को श्रद्धांजलि दी थी. लेकिन उसके बाद भी शहीद राजेश के परिजनों को अबतक पूरा सम्मान नहीं मिल पाया है.
शहीद के लाचार माता-पिता ने कहा है कि घर की माली हालत ठीक नहीं रहने और सम्मान में हो रही देरी के कारण उनकी बहू शहीद राजेश की पत्नी ने भी दूसरी शादी कर ली थी. उनके जाने के बाद उनकी स्थिति और भी भयावह हो गई है. शहीद के माता-पिता ने सरकार पर वीर सपूत की शहादत को भूलने तथा सौतेला व्यवहार अपनाने का आरोप लगाया है. कहा है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी वह विधायक योगेंद्र बैठा भी उनके घर आए थे और आश्वासन की झड़ी लगाई थी. लेकिन करीब 18 साल बीत जाने के बाद भी ना तो आज तक उन्हें उद्घोषणा के मुताबिक सम्मान मिला है और न ही जिला प्रशासन के कोई अधिकारी शहीद के परिवार की सूद लेने आते हैं. हालांकि इस बाबत पूछे जाने पर सिमरिया विधायक किशुन दास ने शहीद के परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है.