कार्तिक उरांव को जयंती पर दी गयी श्रद्धांजलि
रांची: झारखंड में कांग्रेस संगठन को मजबूती प्रदान करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री कार्तिक उरांव की जयंती पर आज रांची स्थित प्रदेश कांग्रेस भवन में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी.
झारखंड प्रदेश प्रोफेशनल कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित कार्तिक उरांव जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रदेश अध्यक्ष सह राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया और उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. समारोह की अध्यक्षता प्रदेश प्रोफेशनल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आदित्य विक्रम जायसवाल ने किया.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह उनके लिए सौभाग्य की बात है कि उन्हें कार्तिक बाबू का सानिध्य प्राप्त करने का मौका मिला. जब वे यूपीएससी और प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, तब कई मौके पर उन्हें दिल्ली स्थित कार्तिक उरांव के आवास पर जाने का अवसर मिलता था. वे हमेशा कहते थे कि जनप्रतिनिधियों और सेवा कार्य में लगे अधिकारियों को क्षेत्र में जाकर लोगों की समस्याएं सुननी चाहिए, तभी उनका समुचित समाधान संभव है.
वे अक्सर अपने लोगों को पत्र भी लिखते रहते थे, इसी कारण जब भी वे गांव और अपने क्षेत्र में जाते थे, तो लोगों से यह सुनने को मिलता था कि कार्तिक बाबू का पत्र उन्हें मिला है. उन्होंने कहा कि एक अभियंता और राजनेता के रूप में कार्तिक बाबू ईमानदारीपूर्वक काम किया, उनकी सादगी और आदर्श की चर्चा अब भी पूरे इलाके में होती है.
एकीकृत में कांग्रेस संगठन को मजबूती प्रदान करने और खासकर झारखंड जैसे आदिवासी बाहुल इलाकों में पार्टी संगठन को मजबूत करने में उनका बड़ा योगदान रहा. संगठन में योगदान के कारण ही बिहार में भी पार्टी को मजबूती मिली.
इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद निर्वाचित और केंद्र सरकार में मंत्री रहे कार्तिक उरांव की सादगी और समाज के प्रति समर्पण को आज भी याद करते है. वह अपने वेतन का अधिकांश भाग समाजसेवा में लगा दिया करते थे. एच.ई.सी. के डिप्टी चीफ इंजीनियर के पद पर रहते हुए भी उनकी इस आदत के कारण परिवार के लोगों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता था, जिससे उन्हें परिवार के सदस्यों की नाराजगी का सामना करना पड़ता था.
वर्ष 1981 में उनका देहावासन हुआ, तब उनके बैंक खाते में अपनी जीवन भर की कमाई मात्र 26 रुपये थी. उन्होंने कहा कि पार्टी संगठन के प्रति उनके योगदान को भी कभी नहीं भुलाया जा सकता है. कार्तिक बाबू ने एक लोकतांत्रिक देश के सजग नागरिक होने के नाते अपने अधिकार और कर्तव्य से अनभिज्ञ जनजाति समाज को लोकतांत्रिक भागीदार बनाने के उद्देश्य से छोटानागपुर संताल परगना क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी का गठन कराया और उसके अध्यक्ष के रूप में उसकी स्वायत्तता के लिए जीवन भी संघर्षशील रहे.
उन्होंने कहा कि आदिवासी गरीब और लाचार लोगों पर हो रहे अत्याचार और शोषण से मुक्ति दिलाने, निर्दाषों को न्याय दिलाने में के लिए उन्होंने पटना उच्च न्यायालय का रांची बेंच स्थापित कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. उन्होंने कहा कि कार्तिक बाबू के प्रयास से ही रांची में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई, ताकि पठारी क्षेत्र की मिट्टी के अनुरुप आवश्यक अनुसंधान हो और क्षेत्र के किसानों को समुमचित उन्नत बीज, खाद और आवश्यक कृषि कार्य के लिए उन्नत संसाधन मुहैया हो सके.
कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि कार्तिक बाबू ने अपने सार्वजनिक जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे. अपने स्वाभाविक परोपकारी प्रवकृति के कारण सदैव ही आर्थिक संकटों से घिरे रहे. बात वर्ष 1977 की है, लोकसभा चुनाव में सफलता नहीं मिलने पर कार्तिक बाबू के समक्ष रहने के लिए आवास की विकट समस्या खड़ी हो गयी.
उन्होंने पहले ही अपने पैतृक मकान को अपने भाईयों के बीच बांट दिया था और अब तक संसद सदस्य के रूप में सरकारी आवास ही रह रहे थे. उनके पास निजी संपत्ति के नाम पर एक झोपड़ी भी नहीं थी. एक विश्वविख्याल अभियंता जो दस वर्षां तक तक सांसद भी रहा हो, अपने जीवन की प्राथतिमक आवश्यकता एक अदद घर भी नहीं बना सके, यह एक अचंभित करने वाली बात थी.
कार्तिक बाबू की इस नाजुक स्थिति को जानकार उनके कुछ शुभचिंतकों ने यथासंभव खुले हाथों से आर्थिक सहायता करके उनके पैतृक गांव करौंदा लिटाटोली में एक झोपड़ी खड़ी करने में श्रमदान भी किया और एक खपड़ैप मकान का निर्माण किया जा सका. उसी मकान से बाद के वर्षां में उन्होंने अपने जीवन में ही अपनी दो बेटियों का विवाह संपन्न कराकर उन्हें ससुराल से विदा किया.
उन्होंने बताया कि जिस साल वे लोकसभा चुनाव हार गये थे, उसी वर्ष जून 1977 में बिहार विधानसभा चुनाव और वे बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र से भारी मतों से विजयी हुए. जनवरी 1980 में देश में मध्यावधि चुनाव हुआ, कार्तिक बाबू फिर से लोहरदगा से चुनाव जीते और इंदिरागांधी सरकार में पहले पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री बने, बाद में उन्होंने संचार राज्यमंत्री का भी पदभार संभाला.
इस मौके पर पद्मश्री मुकुंद नायक, जल पुरुष पद्मश्री सिमोन उरांव, कत्थक और लोक नृत्य कलाकर विपुल नायक, प्रयास हमारा संस्था के संस्थापक अजीत टोप्पो, अंतरराष्ट्रीय एथलीट पुष्पा हस्सा, छऊ नृत्य व मांदर के विख्यात कलाकार मनपुरण नायक, मर्यादा गंभीर संस्था की ख्याति मुंजाल को शॉल, सर्टिफिकेट और बुके देकर सम्मानित किया गया.