चतरा: चतरा जिला के खैवा-जल प्रपात में प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भूत छंटा है. नदी की कल-कल बहती धार व पत्थरों की अद्भूत खुबसूरती इंसान को अपनी ओर बर्बर खींच लाता है. लेकिन मुलभूत सुविधाओं के नहीं होने के कारण आज भी यह मनोरम स्थल पर्यटकों से अनछूआ है. हालांकि नव वर्ष एवं मकर संक्रांति के अवसर पर स्थानीय लोग यहां आकर पिकनिक मनाते है.
चतरा जिला के सदर प्रखंड के कटिया पंचायत स्थित खैवा गांव स्थित खैवा जल-प्रपात को प्रकृति ने खुब सजाया व संवारा है. खैवा-बंदारु स्थित गांव से तकरीबन दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद यहां की अनुपम छंटा दिखती है.
नदी के लगातार बहते धार से पत्थरों ने बेहद ही खुबसुरत रुप ले लिया है. लेकिन इस मनोहारी स्थल तक पहुंचने का रास्ता सुगम नहीं है. प्रकृति की अनुपम मनोहारी दृश्य को देखने के लिये भले ही पर्यटकों के यहां आने की संख्या नगंय हो, किन्तु इसकी सौन्दर्य अत्यंत ही मनोरम है और प्रकृति ने इस खुबसूरत स्थल को ऐसे सजाया है, जैसे हजारों कारीगरों ने मिलकर इसे बनाया हो.
प्रतापपुर के जिप सदस्य अरुण यादव का कहना है कि यदि इस स्थल पर आवागमन की सुविधा हो और सुरक्षा के इंतजाम हो तो यह स्थल पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र बन सकता है.
रांची से आयी शिवानी कहती है कि यह स्थल अत्यंत ही सुंदर है और यहां आकर काफी शुकून मिलता है. जबकि रवि कुमार का कहना है कि शायद अब हालात में सुधार हो और खैवा-बंदारु पर्यटन स्थल के रुप में विकसित हो सके. वैसे स्थानीय पर्यटकों को उम्मीद है कि राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनने से खैवा-बंडारु का कायाकल्प हो सकेगा.
इस मनोरम स्थल पर पत्थरों के खाई में एक मंदिर भी है, जहां की पूजारिन प्रतिदिन आकर पूजन करती है. वो बताती है कि इस मंदिर में जो भी मन्नत मांगता है, देवी उसे जरुर पूरा करती है.