रांची: ब्यूरोक्रेसी का ऐसा शख्स जो हमेशा दूसरे के लिए जीता हो. समस्याओं को सुलझाने में कोई कोर-कसर न छोड़ता हो. इसके लिए सामुदायिक भवन के अंधरे में ही क्यों न रहना पड़े. उनके अंदर बसी भावुकता और दरियादिली लोगों के लिए मिसाल बन गई है. यही वह पहलु है जो उन्हें औरों से उन्हें अलग भी करता है. यह शख्स और कोई नहीं झारखंड कैडर के आईएएस डॉ. सुनील कुमार वर्णवाल हैं. 1997 बैच के अफसर सुनील वर्णवाल का ग्रामीणों से लगाव किसी से छिपा नहीं है. प्रोबेशन पीरियड में उन्होंने ग्रामीणों के अरमानों को पंख दिया. अब केंद्र सरकार में अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने गृह विभाग में उन्हें संयुक्त सचिव की जिम्मेवारी सौंपी है.
👉 बदल दी नवागढ़ की सूरत और सीरत–
ग्रामीणों से लगाव और उनके अरमानों में पंख लगाने के लिए डॉ. वर्णवाल ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. उन्हें शुरू से ही ग्रामीणों से लगाव रहा है. बात उन दिनों की है जब वे मसूरी से ट्रेनिंग कर राजधानी रांची के नवागढ़ (अनगड़ा) में प्रोबेशन पीरियड में तैनात थे. उसी वक्त उन्होंने ठाना था कि ग्रामीणों को ऐसी सभी मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे, जिससे वे भी मुख्यधारा में आ सकें. उनके अरमानों को पंख लग सके. हुआ ऐसा ही. आज नवागढ़ की सूरत और सीरत दोनों बदल चुकी है.
👉 ग्रामीणों की रिपोर्ट पर मिला गोल्ड मेडल–
डॉ. सुनील वर्णवाल प्रोबेशन अवधि में एक सप्ताह नवागढ़ में रहे. सामुदायिक भवन के अंधेरे कमरे में रात गुजारी. बिजली के नाम पर एक खूंटे में बैटरी से जलने वाला एक बल्ब ही टिमटिमाता था. इसकी रौशनी में ही उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं को जाना और समझा. सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट तैयार की. यह रिपोर्ट मसूरी में सौंपी. रिपोर्ट की जमीनी हकीकत ऐसी थी कि उन्हें इसके आधार पर गोल्ड मेडल मिला. रिपोर्ट बनाने में जिन ग्रामीणों ने उन्हें सहयोग किया था, वे आज भी हैं. उनसे ऐसा भावनात्मक लगाव हो गया है कि जब भी समय मिलता है, तब डॉ. वर्णवाल वहां जाते हैं. उनका कहना है कि मैनें जिस जगह से करियर की शुरुआत की थी, उससे मेरा भावनात्मक लगाव है और हमेशा रहेगा.
👉 नवागढ़ को लिया गोद–
डॉ. वर्णवाल का सफर यहीं नहीं रूका. उन्होंने शुरू में वहीं के बरवाडीह टोला को गोद लेने की सोची. इस पर ग्रामीणों से कहा कि पूरी पंचायत को गोद लें. वर्णवाल ने ग्रामीणों के इस आदेश को सिर आंखों पर रखा. पूरे नवागढ़ को गोद ले लिया. आज इस नवागढ़ के अंदर पांच राजस्व गांव रंगामाटी, नवागढ़, सोसो, बड़कीगोरांग और ओबर हैं.
👉 बदल दी सूरत और सीरत–
डॉ. वर्णवाल ने वहां की सूरत और सीरत ही बदल दी. उन्होंने बताया कि वहां 17 टोले हैं. हर टोले में सड़क, बिजली व पानी सहित सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं. 10 स्कूल हैं. इसमें सात प्राथमिक और तीन मिडिल स्कूल हैं. इन सभी स्कूलों को मॉडल स्कूल में तब्दील कर दिया गया है. आठ आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र बना दिया गया है. वहां हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर भी बनाया जा रहा है.