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1926-27 में हुआ था तबलीगी जमात का गठन
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तबलीगी जमात का काम इस्लाम का प्रचार करना
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के मामले दिल्ली में लगातार बढ़ते जा रहे हैं. तेलंगाना में कोरोना संक्रमण से सोमवार को 6 लोगों की मौत हो गई है.
कहा जा रहा है कि ये लोग दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज (सेंटर) के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोग इस कार्यक्रम में आए थे.
अब केंद्र और राज्य सरकारें इन सभी लोगों को ढूंढकर उनकी जांच करने में जुटी हैं, क्योंकि इस धार्मिक कार्यक्रम में मलेशिया और इंडोनेशिया के भी कुछ लोग शामिल हुए थे.
दिल्ली में तबलीगी जमात मरकज से जुड़े 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इसके अलावा 228 संदिग्ध मरीज भी दिल्ली के दो अस्पतालों में भर्ती कराए गए हैं. इनकी रिपोर्ट आनी बाकी है. इसके चलते कोरोना संक्रमण के खतरे की संभावना बढ़ गई है, जिससे सरकार और आम लोग भी चिंतित नजर आ रहे हैं.
शुरुआत-
दरअसल, मुगल काल में कई लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया था. लेकिन फिर भी वो लोग हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज अपना रहे थे. भारत में अंग्रेजों की हुकूमत आने के बाद आर्य समाज ने उन्हें दोबारा से हिंदू बनाने का शुद्धिकरण अभियान शुरू किया था, जिसके चलते मौलाना इलियास कांधलवी ने इस्लाम की शिक्षा देने का काम शुरू किया.
इसके लिए उन्होंने 1926-27 दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मस्जिद में कुछ लोगों के साथ तबलीगी जमात का गठन किया. इसे मुसलमानों को अपने धर्म में बनाए रखना और इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार और इसकी जानकारी देने के लिए शुरू किया.
मतलब-
तबलीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला. जमात का मतलब होता है समूह, यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह.
मरकज का मतलब होता है मीटिंग के लिए जगह. दरअसल, तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं. इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है.
उद्देश्य-
तबलीगी जमात के मुख्य उद्देश्य ‘छ: उसूल जैसे-कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग थे.
इन्हीं उद्देश्यों को लेकर तबलीगी जमात से जुड़े हुए लोग देश और दुनिया भर में लोगों के बीच जाते हैं और इस्लाम का प्रचार-प्रसार करते हैं. तबलीगी जमात में जाने वाला शख्स अपने पैसे खुद लगाता है.
कैसे करती है काम-
तबलीगी जमात के मरकज से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती हैं. इनमें कम से कम तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने की जमातें निकलती हैं.
तबलीगी जमात के एक जमात (समूह) में आठ से दस लोग शामिल होते हैं. इनमें दो लोग सेवा के लिए होते हैं जो कि खाना बनाते हैं. जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों और दुकानदारों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं.
सुबह 10 बजे ये हदीस पढ़ते हैं और नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर इनका ज्यादा जोर होता है.
पहला जलसा-
तबलीगी जमात का पहला धार्मिक कार्यक्रम भारत में 1941 में हुआ था, जिसमें 25,000 लोग शामिल हुए थे. 1940 के दशक तक जमात का कामकाज भारत तक ही सीमित था, लेकिन बाद में इसकी शाखाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैल गईं.
तबलीगी जमात हर साल देश में एक बड़ा कार्यक्रम करता है, जिसे इज्तेमा कहते हैं. इसमें दुनियाभर के लाखों मुसलमान शामिल होते हैं.