नई दिल्ली: पिछले दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय(PMO) में वैज्ञानिक सलाहकार और प्रख्यात माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर के. विजय राघवन ने कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर कहा था कि दुनिया में कहीं भी वैक्सीन तैयार कर लिया जाए, लेकिन भारत की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. उनकी यह बात काफी हद तक जायज भी है, क्योंकि पुणे स्थित भारतीय कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) विश्व में सबसे ज्यादा वैक्सीन उत्पादन करने वाली कंपनियों में शुमार है. वैक्सीन की रेस में आगे चल रही ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने उत्पादन के लिए सीरम इंडिया से करार किया है.
दरअसल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को कोरोना की वैक्सीन विकसित करने में एस्ट्राजेनेका कंपनी का सहयोग रहा है और अमेरिका की इस फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका से सीरम इंस्टिट्यूट की साझेदारी हुई है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई वैक्सीन का उत्पादन भारत स्थित सीरम इंस्टिट्यूट में किया जाएगा. सीरम इंस्टिटयूट की ओर से भारत में बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल किया जाना है.
ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में तैयार वैक्सीन का पहले और दूसरे चरण का ट्रायल सफल रहा है. अब इस वैक्सीन का तीसरे और अंतिम चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो रहा है. भारत में भी इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा. महाराष्ट्र के पुणे में स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया(SII) यह उत्पादन करेगी. खबरों के मुताबिक, अगस्त के अंतिम सप्ताह तक करीब एक करोड़ वैक्सीन की डोज तैयार करके देने की बात कही गई है. हालांकि कंपनी दो से तीन करोड़ डोज बनाने की तैयारी में है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की जा रही वैक्सीन का वैज्ञानिक नाम ChAdOx1 nCoV-19 है. इसे कोविड शील्ड (covid shield) नाम दिया गया है. इस वैक्सीन का पहले और दूसरे चरण का ट्रायल भारत में नहीं हुआ है, लेकिन तीसरे और अंतिम चरण का ट्रायल भारत में भी होना है. ताकी, यह पता चल सके कि भारत में रहनेवाले लोगों पर यह वैक्सीन कितनी प्रभावी है.
कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला के मुताबिक, कोविड शील्ड वैक्सीन के तीसरे और अंतिम चरण के ट्रायल के लिए भारत के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) से अनुमति मांगी गई है. अदार पूनावाला ने कहा है कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की वैक्सीन ने शुरुआती चरणों के परीक्षण में उत्साहवर्धक नतीजे दिए हैं. भारत में अगले चरण का परीक्षण अगस्त के मध्य में शुरू हो सकता है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई वैक्सीन कोविड शील्ड (covid shield) का कंपनी द्वारा उत्पादन के बाद भारत में बड़े पैमाने पर इसका ट्रायल होगा. खबरों के मुताबिक, देश में सबसे पहले पुणे और मुंबई में रहनेवाले लोगों को यह वैक्सीन लगाई जा सकती है. सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला के मुताबिक, वैक्सीन के दूसरे-तीसरे ह्यूमन ट्रायल के दौरान पुणे और मुंबई में रहनेवाले चार से पांच हजार लोगों को यह वैक्सीन लगाई जा सकती है.
मालूम हो कि महाराष्ट्र, कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्यों में शामिल है. यहां की राजधानी मुंबई और महानगर पुणे में कोरोना के कई हॉटस्पॉट चिह्नित किए गए हैं, जहां कोरोना संक्रमण की रफ्तार काफी तेजी से बढ़ी है. खबरों के मुताबिक, इन दोनों शहरों में अगस्त तक करीब पांच हजार लोगों को कोविड-19 की वैक्सीन लगाई जा सकती है.
मालूम हो कि पिछले हफ्ते मेडिकल जर्नल लैंसेट में वैक्सीन के ट्रायल के परिणाम प्रकाशित हुए हैं, जिसमें कहा गया है कि वैक्सीन के ट्रायल के दौरान अच्छी प्रतिक्रिया मिली और यह किसी भी गंभीर साइड इफेक्ट का संकेत नहीं दे रहा है. वैक्सीन से एंटीबॉडी और टी सेल्स बन रही है, जो कोरोना से लड़ने में कारगर है.
अनुमानतः इस वैक्सीन की कीमत 1000 रुपये हो सकती है. अदार पूनावाला ने भी मीडिया को दिए बयान में कहा है कि उनकी कोशिश इस वैक्सीन को 1000 रुपये से कम में उपलब्ध कराने की रहेगी. हालांकि उम्मीद की जा रही है कि देश में सरकार ही वैक्सीन खरीद कर लोगों को टीकाकरण अभियान के जरिए नि:शुल्क उपलब्ध कराएगी. इधर, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण किए बिना महामारी के खतरे की आशंका बनी रहेगी.