BNN DESK: जब भी खाली जमीन पर घर या ऑफिस बनने का काम शुरू होता है तो उससे पहले भूमि पूजन करवाई जाती है. इसके बाद ही नींव रखी जाती है. आपने अक्सर देखा होगा कि भूमि पूजन के समय चांदी के नाग और कलश की पूजा की जाती है.
वास्तुशास्त्र के अनुसार भूमि के नीचे पाताल लोक है, जिसके स्वामी भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग भगवान हैं. इन्होंने ही अपने फन पर पृथ्वी को उठाकर रखा हुआ है. भूमि पूजन के समय नींव में चांदी के सांप की पूजा का उद्देश्य शेषनाग की कृपा पाना होता है.
नींव में सांप को रखकर यह माना जाता है कि जिस प्रकार शेषनाग ने पृथ्वी को संभालकर रखा है, उसी प्रकार शेष नाग उनके भवन को भी संभलकर रखें. भवन सुरक्षित और दीर्घायु होगा.
भूमि पूजन में कलश रखने के पीछे भी यही आस्था और विश्वास काम करता है कि इससे शेषनाग भगवान की कृपा प्राप्त होगी. शास्त्रों के अनुसार शेषनाग क्षीर सागर में रहते हैं, इसलिए कलश में दूध, दही, घी डालकर शेषनाग का आह्वान मंत्रों द्वारा कलश में किया जाता है ताकि शेषनाग भगवान का प्रत्यक्ष आशीर्वाद मिले.
कलश में सिक्का और सुपारी डालकर यह माना जाता है कि लक्ष्मी और गणेश की कृपा प्राप्त होगी. कलश को ब्रह्माण्ड का प्रतीक और विष्णु का स्वरुप मानकर उनसे प्रार्थना की जाती है कि देवी लक्ष्मी सहित इस भूमि में विराजमान रहें और शेषनाग भूमि पर बने घर को हमेशा सहारा देते रहें.